अयोध्या: राम मंदिर का रास्ता साफ, मस्जिद की जमीन को लेकर रार बरकरार

Edited By Ajay kumar,Updated: 11 Feb, 2020 11:18 AM

ayodhya way clear for ram temple rar continues on mosque land

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने आखिरकार ट्रस्ट बना ही दिया है, तो वहीं उप्र सरकार ने मुस्लिम समाज को दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन को भी मंजूरी दे दी है। हालांकि...

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने आखिरकार ट्रस्ट बना ही दिया है, तो वहीं उप्र सरकार ने मुस्लिम समाज को दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन को भी मंजूरी दे दी है। हालांकि मुस्लिम पक्ष राज्य सरकार द्वारा दी गई जमीन को लेकर नाखुश दिखाई दे रहा है।

बता दें कि सरकार ने मुस्लिम समाज को जो जमीन मस्जिद के लिए आवंटित की है ,वह अयोध्या के सांस्कृतिक परिक्षेत्र से बाहर है। करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर मस्जिद के लिए जमीन चिन्हित की गई है। इसी को लेकर मुस्लिम पक्ष नाराज दिख रहा है।

बाबर के नाम पर एक भी ईंट स्वीकार नहीं
दरअसल, अयोध्या के संत समाज पूर्व से ही मांग कर रहे थे कि मुस्लिमों को मस्जिद के लिए दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन अयोध्या के सांस्कृतिक सीमा के बाहर दी जाए। जिसके बाद रौनाही में मुस्लिम समाज को जमीन दी गई। उधर संत समाज के लोगों ने मस्जिद के लिए रौनाही में आवंटित की गई जमीन का स्वागत किया है। संत समाज ने कहा है कि योगी सरकार को साधुवाद है, लेकिन बाबर के नाम पर अयोध्या ही नहीं पूरे देश में मस्जिद स्वीकार नहीं है। बाबर के नाम पर एक भी ईंट स्वीकार नहीं की जाएगी। इसका संत समाज पुरजोर विरोध करेगा।

अंसारी ने कहा- बाबर हमारा कोई मसीहा नहीं था
वहीं बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी रौनाही में मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने पर नाखुश दिखे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही जमीन देने के लिए कहा है। लिहाजा मस्जिद की जमीन अयोध्या के भीतर ही दी जानी चाहिए। हमें जमीन अयोध्या में मिले, मस्जिद के मलबे से हमें कोई लेना-देना नहीं है। अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया है, इसलिए राम मंदिर बनने पर हमें एतराज नहीं है। हम मलबे की बात भी नहीं करते हैं। हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन देने की बात कही है और वही हमें मिलनी चाहिए। इसमें किसी का विरोध नहीं होना चाहिए। रही बात बाबर की तो बाबर हमारा कोई मसीहा नहीं था। हमें बाबर के नाम पर मस्जिद नहीं बनानी है।

 

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