अयोध्या मस्जिदः आवंटित जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिका को HC ने किया खारिज

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 09 Feb, 2021 08:58 AM

ayodhya mosque hc rejects the petition filed for the ownership

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सरकार द्वारा अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित पांच एकड़ जमीन पर मालिकाना हक के दावे से संबंधित...

लखनऊ:  उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सरकार द्वारा अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित पांच एकड़ जमीन पर मालिकाना हक के दावे से संबंधित याचिका सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दी। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्‍ता ने ही इस याचिका को वापस लेने की मांग की थी। हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ताओं को समुचित दलीलों के साथ नए सिरे से याचिका दाखिल करने की इजाजत भी दी है।

बता दें कि उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्‍याय और न्‍यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को यह आदेश पारित किया। दिल्ली की दो बहनों की याचिका का विरोध करते हुए सरकार के वकील अपर महाधिवक्‍ता रमेश कुमार सिंह ने कहा कि धन्‍नीपुर में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन के गाटा नंबर याचिका में उल्लिखित नंबरों से अलग हैं, लिहाजा याचिका गलत तथ्‍यों पर आधारित है और यह खारिज किये जाने योग्‍य है। दोनों बहनों ने तीन फरवरी को याचिका दायर की थी। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्‍ता एचजीएस परिहार ने अपनी गलती मानते हुए याचिका वापस लेने की मांग की। तब पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

याचिका में दिल्ली निवासी रानी कपूर और रामा रानी पंजाबी ने दावा किया था कि उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी वर्ष 1947 में देश के बंटवारे के दौरान पंजाब से तत्कालीन फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले में आकर बसे थे। उस वक्त नुजूल विभाग ने उनके पिता के नाम धन्नीपुर गांव में 28 एकड़ जमीन पांच साल के लिए आवंटित की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पांच साल के बाद भी उस जमीन पर उनके पिता का कब्जा बरकरार रहा और बाद में राजस्व संबंधी दस्तावेज में वह जमीन ज्ञान चंद्र पंजाबी के नाम दर्ज कर दी गई थी। अब अयोध्या सदर में इस पर कब्जे दारी का वाद लंबित है लेकिन इसका संज्ञान लिए बगैर स्थानीय प्रशासन ने उसी जमीन में से पांच एकड़ हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए दे दिया है। यह मामला पहले भी जिलाधिकारी के समक्ष उठ चुका था, जिसका निस्‍तारण करके दावा करने वाले पक्ष को जवाब दिया गया था।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण कराने के लिए ट्रस्ट गठित करने और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने बोर्ड को धन्नीपुर गांव में जमीन आवंटित की थी।

 

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