अयोध्या विवाद: न्यायालय के फैसले से विहिप और संत समाज में निराशा

Edited By Ruby,Updated: 29 Oct, 2018 04:33 PM

ayodhya dispute frustration in the vhp and sant samaj

उच्चतम न्यायालय में विवादित राम जन्म भूमि मामले में दिन प्रतिदिन की सुनवाई की तारीख बढ़ जाने के फैसले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और साधु-संतों के बीच निराशा फैल गई है। विहिप और साधु संत भव्य मंदिर निर्माण के लिए आ रही बाधाओं को दूर करने की मांग कर...

अयोध्याः उच्चतम न्यायालय में विवादित राम जन्म भूमि मामले में दिन प्रतिदिन की सुनवाई की तारीख बढ़ जाने के फैसले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और साधु-संतों के बीच निराशा फैल गई है। विहिप और साधु संत भव्य मंदिर निर्माण के लिए आ रही बाधाओं को दूर करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि उच्चतम न्यायालय में इस मामले की सोमवार को सुनवाई होनी थी। हालांकि न्यायालय के निर्णय के बाद अब इस मामले की सुनवाई जनवरी में होगी। 

विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के मार्ग प्रशस्त करना केन्द्र की भाजपा सरकार का काम है। इस मामले की देरी से लोगों में गलत संदेश जाएगा। इस बीच महंत धर्मदास ने कहा कि केन्द्र सरकार किसी तरह का कानून लाने में समर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यायालय को जनवरी में सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष को मौका देना चाहिए था। संत ने कहा, न्यायालय ने मामले को स्थगित करने में कुछ मिनट लगाए। संबंधित पक्षों को 2 मिनट का समय भी नहीं दिया। 

इस बीच, मुस्लिम पक्ष के इकबाल अंसारी ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और उच्चतम न्यायालय पर अपना विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हैं क्योंकि हमें जल्दबाजी नहीं हैं। न्यायालय को अपना समय लेना चाहिए क्योंकि मामला बहुत महत्वपूर्ण है। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य और वकील जफराराब जिलानी ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, कि यह तय करने के लिए न्यायालय इस मामले को कब तय करेगा इसमें कोई सवाल नहीं कर सकता।

 

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