संविधान को गीता की तरह करें आत्मसात : इलाहाबाद हाईकाेर्ट

Edited By Ajay kumar,Updated: 27 Nov, 2019 09:49 AM

assimilate the constitution like gita chief justice of allahabad high court

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने कहा है कि न्यायाधीशों और वकीलों को संविधान को गीता के समान मानना चाहिए तथा अपने दिनचर्या में उसे आत्मसात करना चाहिए।

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने कहा है कि न्यायाधीशों और वकीलों को संविधान को गीता के समान मानना चाहिए तथा अपने दिनचर्या में उसे आत्मसात करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय में संविधान दिवस पर आयेाजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

भारतीय संविधान की खासियतों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। यह हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तो दिलाता ही है, साथ ही साथ देशवासियों में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना भी कूट कूट कर भरता है। वह ‘भारत का एक राष्ट्र के रूप में विकास एवं हमारे संविधानिक मूल्य' विषय पर संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमारा संविधान कितना सशक्त है, यह इस बात से जाना जा सकता है कि हमारा संविधान बनने के कुछ ही घंटो के अंदर हमारे पड़ोसी मुल्क में भी संविधान बना किन्तु आज दुनिया वाकिफ है कि पड़ोसी पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र की संज्ञा पाता है जबकि हमारा राष्ट्र विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश के रूप से अपनी पहचना बना चुका है। 

इस अवसर पर उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर सहित अन्य लोगों को याद किया और कहा कि हमारे संविधान की दो खास बातें है कि हम सब विभिन्नताओं को आत्मसात कर लेते है और हममें सहुष्णता की पराकाष्ठा है। मुख्य न्यायाधीश ने समाज एवं महिलाओं की सोच में आये तमाम बदलाओं का श्रेय संविधान में प्रदत्त व्यवस्थाओं को दिया।   

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