Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 15 Dec, 2019 03:05 PM
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मांग की है कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक अंक पाता है तो उस उम्मीदवार को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जानी चाहिए। अनुप्रिया ने बातचीत में...
लखनऊः पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मांग की है कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक अंक पाता है तो उस उम्मीदवार को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जानी चाहिए। अनुप्रिया ने बातचीत में कहा, ''किसी भी परिस्थिति में यदि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे उम्मीदवार को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।''
उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लगातार ख़बरें आ रही हैं कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज़्यादा है। ऐसे रिजल्ट का मतलब ये है कि अगर आप रिजर्व श्रेणी के हैं तो चयनित होने के लिए आपको सामान्य श्रेणी के कट ऑफ से ज्यादा नंबर लाने होंगे। अनुप्रिया ने दावा किया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति में सामान्य वर्ग का कटऑफ 86 तो ओबीसी वर्ग का 99 फीसदी रहा। इसी प्रकार राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आरएएस) परीक्षा, 2013 में ओबीसी वर्ग का कट ऑफ 381 और जनरल वर्ग का कट ऑफ 350 रहा।
उन्होंने कहा, ''चूंकि वैधानिक प्रावधान यह है कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार अगर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार से ज़्यादा नम्बर पाता है, तो उसे अनारक्षित यानी जनरल सीट पर नौकरी दी जाएगी, न कि आरक्षित सीट पर। मगर ऐसा होता नहीं है।'' अनुप्रिया यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा चुकी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उसी स्थिति में ज्यादा नंबर पाने पर अनारक्षित सीट पर नौकरी पा सकता है। जब उसने किसी प्रकार की कोई छूट मतलब उम्र सीमा, आवेदन के दौरान सामान्य वर्ग की तुलना में कम फीस आदि नहीं ली हो।
चूंकि आरक्षित वर्ग के लोग आर्थिक दृष्टि से अभी भी बहुत पीछे हैं और समान अवसर अब भी उनके लिये सपना है, ऐसे में इस वर्ग के उम्मीदवार का सामान्यता उम्र और फीस जैसी छूट हासिल करना मजबूरी है। अनुप्रिया दावा करती हैं कि ओबीसी की आबादी देश की आबादी का 52 फीसदी है। आर्थिक और सामाजिक रूप से अशक्त होने के कारण इस वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया। उनकी मांग है कि इस वर्ग को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए तय किया जाए कि किसी भी परिस्थिति में अगर आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे उम्मीदवार को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।