Edited By Deepika Rajput,Updated: 15 May, 2018 01:53 PM
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत भगवान श्री गणेश के नाम से की जाती है। शादी का कार्ड हो या मुंडन निमंत्रण पत्र हमेशा भगवान गणेश की फोटो लगाई जाती है। लेकिन पिछले कुछ समय से दलित परिवारों में शादी-विवाह के कार्ड में हिंदू देवी-देवताओं की बजाए...
इलाहाबाद: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत भगवान श्री गणेश के नाम से की जाती है। शादी का कार्ड हो या मुंडन निमंत्रण पत्र हमेशा भगवान गणेश की फोटो लगाई जाती है। लेकिन पिछले कुछ समय से दलित परिवारों में शादी-विवाह के कार्ड में हिंदू देवी-देवताओं की बजाए आंबेडकर और भगवान बुद्ध के चित्र प्रकाशित करवाने का चलन बढ़ गया है।
बता दें कि, पिछले साल इलाहाबाद में अनुसूची जाति से संबंधित हिचलाल ने अपनी बेटी खुशबू की शादी के लिए विवाह को जो कार्ड छपवाया था, उसमें देवी देवताओं की जगह संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की फोटो लगाई गई थी। विवाह के कार्ड पर श्लोक की जगह बुद्धवाणी लिखवाई गई थी।
उनका कहना था कि जिसने उनका उत्थान किया वही उनके यहां भगवान का दर्जा पा सकता है। दलित होने के नाते आज समाज में जिनती भी उनकी भागीदारी है वह केवल बाबा साहब की देन हैं। इसलिए वो हमारे लिए भगवान के समान है। हिचलाल के परिवार का कहना था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उन्हें अपने फैसले पर गर्व है।
वहीं इसी तरह का चलन कई और देशों में भी शुरु हो गया। राज्यस्थान के नागौर जिले के कुचामनसिटी में एक प्रिंटिंग प्रेस वाले की मानें तो अब दलित ग्राहकों की पहली मांग कार्ड में आंबेडकर की फोटो लगाने की होती है। गौरतलब है कि, 2 अप्रैल को भारत बंद के आंदोलन के बाद दलित समाज में यह ट्रेंड और भी तेज हो गया है। शादी कार्ड पर भगवान गणेश की जगह अब आंबेडकर ने ले ली है।