Edited By Deepika Rajput,Updated: 25 May, 2019 09:43 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने लिए सपा-बसपा गठबंधन भले ही सफल नहीं हुआ हो, लेकिन दो दलों की दोस्ती ने उत्तर प्रदेश से 6 मुस्लिम सांसदों को लोकसभा की दहलीज लांघने का मौका दे दिया।
लखनऊः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने लिए सपा-बसपा गठबंधन भले ही सफल नहीं हुआ हो, लेकिन दो दलों की दोस्ती ने उत्तर प्रदेश से 6 मुस्लिम सांसदों को लोकसभा की दहलीज लांघने का मौका दे दिया।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को संसद में प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला था। हालांकि, पिछले साल हुए उपचुनाव में कैराना संसदीय क्षेत्र में तबस्सुम हसन संसद जाने में सफल हुई थी। इस बार मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद राज्य की जनता ने 6 मुस्लिमों को संसद जाने का जनादेश दिया है। इनमें से बसपा और सपा से 3-3 मुस्लिम सांसद शामिल हैं। अमरोहा से बसपा के कुवंर दानिश अली, गाजीपुर से अफजाल अंसारी और सहारनपुर से हाजी फजलुरर्हमान लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं, जबकि रामपुर से सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान, मुरादाबाद से डॉ. एचटी हसन और संभल से डॉ. शफीकुरर्हमान बर्क संसद की दहलीज लांघने में सफल हुए हैं।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मुसलमानों को एकजुट रहने की अपील करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती चुनाव आयोग ने निशाने पर आईं थी, लेकिन उनकी यह कोशिश संसद में मुसलमानों का राज्य से प्रतिनिधित्व बढ़ाने में कारगर रही। यही वजह है कि 2014 की तुलना में इस बार लोकसभा जाने वाले मुसलमान सांसदों की संख्या बढ़ गई है। इस बार देश भर से कुल 27 मुस्लिम सांसद लोकसभा जा रहे हैं, जबकि 2014 में कुल 23 मुस्लिम सांसद बने थे।