इलाहाबाद HC ने मेरठ में चल रहे वेश्यालयों को बंद करने का दिया निर्देश

Edited By Ruby,Updated: 15 May, 2019 11:35 AM

allahabad hc directs to shut down brothels running in meerut

मेरठ/प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेरठ में कथित तौर पर चल रहे वेश्यालयों को बंद कराने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) को मेरठ के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए कहा है। अदालत ने यह निर्देश एक जनहित...

मेरठ/प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेरठ में कथित तौर पर चल रहे वेश्यालयों को बंद कराने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) को मेरठ के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए कहा है। अदालत ने यह निर्देश एक जनहित याचिका पर दिया। इसके साथ ही अनैतिक व्यापार निवारण कानून के प्रावधानों एवं अन्य संबंद्ध प्रावधानों के मुताबिक कानूनी कार्यवाही करने को कहा।

सुनील चौधरी नाम के एक व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने की। उन्होंने अपर मुख्य सचिव को इस दिशा में उठाए गए कदमों के संबंध में एक पूर्ण रिपोर्ट प्राप्त कर उसे अदालत में पेश करने के लिए कहा। साथ ही इस याचिका में लगाए गए आरोपों के संबंध में की गई आपत्तियों के बारे में अदालत को अवगत कराने को भी कहा।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेरठ शहर में कई वेश्यालय चल रहे हैं और जिला प्रशासन अनैतिक व्यापार निवारण कानून और अन्य संबद्ध प्रावधानों के तहत आवश्यक कोई कदम नहीं उठा रहा है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, "सरकारी एजेंसियों की नजर में 75 वेश्यालय आए हैं और उनके द्वारा ऐसे स्थानों पर गर्भ निरोधक गोलियां भी बांटी गई हैं। अदालत के संज्ञान में यह बात भी लाई गई कि ये वेश्यालय आपराधिक गतिविधियों का केंद्र बन गए हैं और एक स्थान पर तो हत्या भी हो चुकी है।"

जब अदालत के संज्ञान में यह बात लाई गई कि इस जनहित याचिका को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए याचिकाकर्ता जो स्वयं एक वकील हैं, को धमकियां दी गई हैं, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि एक जनहित याचिका होने और इस अदालत के संज्ञान में यह बात आने के बाद यदि याचिकाकर्ता चाहे तो भी वह इस याचिका को वापस नहीं ले सकता। हालांकि अदालत ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को याचिकाकर्ता को जरूरत पड़ने पर आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया और इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 मई, 2019 की तारीख तय की।

 

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