Edited By Ruby,Updated: 07 Oct, 2018 02:12 PM
अखिलेश सरकार में एसिड अटैक पीड़ितों को नई जिंदगी देने वाला शीरोज हैंगआउट कैफे अब बंद होने की कगार पर है। दरअसल योगी सरकार द्वारा कैफे की जमीन खाली करने और सामान जमा करने के आदेश दिए गए हैं। पहले 29 सिंतबर को कैफे को खाली करने के लिए कहा गया था,...
लखनऊः अखिलेश सरकार में एसिड अटैक पीड़ितों को नई जिंदगी देने वाला ''शीरोज हैंगआउट कैफे'' अब बंद होने की कगार पर है। दरअसल योगी सरकार द्वारा कैफे की जमीन खाली करने और सामान जमा करने के आदेश दिए गए हैं। पहले 29 सिंतबर को कैफे को खाली करने के लिए कहा गया था, लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने 3 हफ्ते की और मोहलत दी है। इसी सिलसिले में आज अखिलेश यादव ने लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित शीरोज हैंगआउट कैफे में एसिड अटैक पीड़िताओं से मुलाकात की। इस दौरान उनकी पत्नी डिंपल यादव भी मौजूद थी।
इस दौरान अखिलेश मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने कहा कि सरकार के पास पैसा कमाने के लिए बहुत विकल्प हैं। सरकार को यह कैफे बंद नहीं करना चाहिए। एसिड पीड़ित को इससे जीवन में नई रोशनी मिली है। इनके जीवन की दशा बदल गई है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि पीड़ित बच्चियों को नहीं हटाना चाहिए, शीरोज कैफे को बंद ना करें।उन्होंने कहा कि कैफे बहुत समय से चल रहा है। तमाम तकलीफों के बाद लड़कियां जीवन को दिशा दे रही हैं। मुझे दुःख इस बात का है कि सरकार बड़े-बड़े काम कर सकती है लेकिन इसे क्यों छीनना चाहती है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
महिला कल्याण निगम द्वारा दिए गए कैफे बंद करने के आदेश
महिला कल्याण निगम द्वारा शीरोज कैफे को खाली करने के संबंध में जारी आदेश में कहा गया है कि महिला कल्याण विभाग की अध्यक्षता में शीरोज हैंगआउट कैफे के संचालन के संबंध में गठित स्टेट मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक 6 सितंबर को हुई थी, जिसमें शीरोज कैफे को बंद करने के बारे में निर्णय लिया गया था।
क्या है ''शीरोज हैंगआउट कैफे''
शीरोज कैफे एसिड एटैक पीड़िताओं द्वारा चलाई जा रही एक कॉफी शॉप है। जिसमें सभी एसिड अटैक पीड़िताएं काम करती हैं। इस कैफे को चलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जमीन दी थी। अखिलेश के इस कदम से एसिड अटैक पीड़िताओं को जिंदगी जीने की एक नई राह मिली। बता दें कि इस कैफे में काम करने वाली सरवाइवरस को वेतन महिला कल्याण निगम की ओर से दिया जाता है।
सरकार के इस आदेश के बाद कैफे का संचालन कर रही पीड़ित महिलाओं ने विरोध जताया है। इस संबंध में सभी महिलाएं विभागीय मंत्री से भी मिलने पहुंची, लेकिन महिला कल्याण मंत्री बहुगुणा जोशी ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया। अब उन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि उनकी काम-काज से जुड़े इस कैफे को बंद करने के आदेश को वापस लिया जाए।