हमीरपुर में जागरुकता के अभाव में AIDS रोगियों की संख्या में इजाफा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 30 Nov, 2018 12:07 PM

aids increase in the absence of awareness in hamirpur

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जागरुकता के अभाव में लाइलाज संक्रामक बीमारी एड्स पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला अस्पताल के एड्स परामर्शदाता डॉ. प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को यहां बताया कि जिले में 245 एड्स रोगियों का उपचार किया जा रहा है,...

हमीरपुरः उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जागरुकता के अभाव में लाइलाज संक्रामक बीमारी एड्स पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला अस्पताल के एड्स परामर्शदाता डॉ. प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को यहां बताया कि जिले में 245 एड्स रोगियों का उपचार किया जा रहा है, जिसमें 106 महिलाएं शामिल है। इनमें ज्यादातर लोग गैर प्रांत के है।

उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोगों खासकर ट्रक चालकों, फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों को इस बीमारी के होने के संबंध में जानकारी नहीं है। जागरूकता के अभाव में एचआईवी पाजिटिव के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है। डॉ. कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल में वर्ष 2003 से अब तक 62,199 लोगों की काउंसलिंग की जा चुकी है। पिछले दस साल में एड्स रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिला महिला अस्पताल में दर्ज मामलों के अनुसार महिला रोगियों की संख्या 40 एवं पुरुष रोगियों की संख्या 28 है। यहां पर प्रत्येक गर्भवती महिला की एड्स की जांच की जाती है जिसमें दस फीसदी महिलाओं में एड्स पाया गया है। अभी हाल ही में सुमेरपुर के कुंडऱा गांव में एक पुरुष रोगी की मृत्यु हुई।

इस बीच जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. आर के शर्मा का कहना है कि आसीटीसी कक्ष में रोजाना ऐसे मरीजों की काउंसिंग की जाती है और उन्हें मुफ्त दवाएं दी जाती है। हांलाकि जिले में कई रोगियों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनका डाटा नहीं रखा जाता है। उनका कहना है कि होटल, खदान और ढाबों में असुरक्षित यौन संबंधों के चलते रोगियों की संख्या मे इजाफा हो रहा है। तीन साल पहले सरकार ने ऐसे संवेदनशील स्थानों पर कैम्प लगाकर वहां काम करने वाले लोगों जागरुक करने का काम किया गया था लेकिन बजट के अभाव के कारण यह मामला वहीं ठप हो गया।

डॉ. शर्मा का कहना है कि महिलाओं का जागरुक होना सबसे अधिक आवश्यक है क्योंकि कोई व्यक्ति यहां से गैर प्रांत में काम करके वापस आता है उसकी सबसे पहले काउसिंल होनी चाहिए ताकि जीवन साथी के साथ रोग न बांट सके। इसके लिये आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, आशा बहुओं, एएनएम को प्रशिक्षण देना अनिवार्य हो। महिलाओं को कार्यकत्रियां द्वारा जागरुक करना आसान तरीका होगा। उनका कहना है कि यह रोग न हो इसके लिए जागरुकता जरुरी है। 

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