UP चुनाव में कृषि संकट BJP के लिए चुनौती, कानून-व्यवस्था और जनकल्याण के मुद्दे कर सकते हैं मदद

Edited By Mamta Yadav,Updated: 29 Jan, 2022 05:55 PM

agriculture crisis is a challenge for bjp in up elections

उत्तर प्रदेश में पिछली बार के विधानसभा चुनाव में जाट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामाजिक गठजोड़ के महत्वपूर्ण घटक थे, जिससे पार्टी को जबरदस्त सफलता हासिल करने में मदद मिली थी लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टी के खिलाफ इस बार...

मेरठ/मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में पिछली बार के विधानसभा चुनाव में जाट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामाजिक गठजोड़ के महत्वपूर्ण घटक थे, जिससे पार्टी को जबरदस्त सफलता हासिल करने में मदद मिली थी लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टी के खिलाफ इस बार कृषक समुदाय में असहमति के संकेत देखने को मिल रहे हैं। किसानों के लिए आवारा पशुओं की समस्या और युवाओं में बेरोजगारी का मुद्दा जोर पकड़ता दिख रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मतदाताओं के एक बड़े हिस्से की ओर से सराहा भी जा रहा है। इसी तरह सरकार की ओर से उठाए गए कल्याणकारी कदमों के कारण भी भाजपा को समाज के गरीब तबके के बीच मदद मिल रही है।

बता दें कि भाजपा के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य की तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी कोई चुनौती नहीं थी। लेकिन इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन है और ऐसा माना जाता है कि उसके खाते में बड़ी संख्या में मुस्लिम और जाट वोट हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों और मुसलमानों की आबादी राज्य के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले अधिक है। मुजफ्फरनगर के खतौली के पंचायत कार्यालय में दो गांवों के प्रधान, नोना के रोशन सिंह सेहरावत और दुधाहेरी के अशोक राठी तथा अन्य जाटों का आरोप है कि भाजपा नेताओं के प्रभाव के बावजूद स्थानीय प्रशासन में उनकी नहीं सुनी जाती।

राठी ने कहा, ‘‘अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष) और जयंत चौधरी (रालोद प्रमुख) दोनों युवा, शिक्षित और नेक नीयत वाले हैं, उन्हें एक मौका मिलना चाहिए।'' आवारा पशुओं के खतरे का हवाला देते हुए राठी ने कहा, ‘‘यह एक बड़ी समस्या है, पशु खेतों की फसल तबाह कर देते हैं।'' गुर्जर समुदाय के किसान योगेश कुमार और रणटेक कुमार का कहना है कि यूरिया खाद की आपूर्ति कम हो गई और उनके बच्चों के लिए रोजगार की कमी है। हालांकि अति पिछड़ा वर्ग के वेदपाल प्रजापति भाजपा की तारीफ करते हैं। प्रजापति ने कहा, ‘‘मेरे परिवार को मुफ्त में राशन मिल रहा है अन्यथा हमारा बचना मुश्किल हो जाता। हमें पेंशन का भी लाभ मिल रहा है। पांच साल पहले आप रात में बाहर निकलने के बारे में नहीं सोच सकते थे, खासकर परिवार की महिलाओं की स्थिति में। चीजें अब बहुत बदली हुई हैं।''

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में मोदी, यूपी में योगी।'' भंगेला गांव के बुजुर्ग बलबीर सिंह सैनी ने भाजपा के प्रति समर्थन जताया और कहा कि राजमार्गों पर और इसके आसपास कभी लूटपाट की घटनाएं होती रहती थीं। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े-बड़े लोग लूट गए, लेकिन अब ऐसा नहीं होता।'' मेरठ जिले के पड़ोस में स्थित नांगला तहसील में जाट समुदाय के युवाओं के स्वर भाजपा के खिलाफ मुखर हैं, इनमें से कुछ ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर तक चले किसान आंदोलन में भी हिस्सा लिया है। इन युवाओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया प्रस्तावों को खारिज कर दिया। युवाओं ने कहा कि गृह मंत्री ने जिन जाट नेताओं के साथ बैठक की थी, उनमें कोई बड़ा ‘‘खाप चौधरी'' नहीं था।

मेरठ में कुछ युवाओं ने अपने समुदाय के उन लोगों पर निशाना साधा जो भाजपा के खिलाफ हैं। इन युवाओं का कहना है कि राज्य में बिजली आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है और कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी है। सरधना में सपा के अतुल प्रधान के मुकाबले में भाजपा नेता संगीत सोम होंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 113 सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में 10 और 14 फरवरी को होंगे। इस क्षेत्र में भाजपा को वर्ष 2017 में 89 सीट मिली थी। पहले चरण की 58 सीटों पर जाट मतदाताओं की बड़ी भूमिका होगी। मथुरा, मजफ्फरनगर और बागपत समेत कई जिलों में जाटों की आबादी काफी अधिक है।

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