अयोध्या पर फैसले के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग, शुरू हुई सुनवाई

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 13 Dec, 2019 12:08 PM

after verdict on ayodhya now the demand for kashi vishwanath

अयोध्या मामले पर फैसले आने के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले की सुनवाई शुरू होने वाली है। जिसके चलते ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपी...

वाराणसीः अयोध्या मामले पर फैसले आने के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले की सुनवाई शुरू होने वाली है। जिसके चलते ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई है।

9 जनवरी 2020 को मामले की अगली सुनवाई
कोर्ट की ओर से अगली सुनवाई की तारीख 9 जनवरी 2020 को रखी गई है। लेकिन कोर्ट में आपत्ति दाखिल करने के पहले ही मस्जिद पक्ष की ओर से पुरातात्व विभाग के सर्वेक्षण की मांग को गलत बताया जा रहा है। मालूम हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जिसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत में चल रहा है।

क्या है मामला?
स्‍वयंभू ज्‍योतिर्लिंग भगवान विश्‍वेश्‍वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्‍यास और अन्‍य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में स्‍थानीय अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। भगवान विश्‍वेश्‍वर के पक्षकारों की ओर से कहा गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्‍योतिर्लिंग विश्‍वेश्‍वर मंदिर का अंश है। वहां हिंदू आस्‍थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन आदि के साथ निर्माण, मरम्‍मत और पुनरोद्धार का अधिकार प्राप्‍त है। इस मुकदमे में वर्ष 1998 में हाई कोर्ट के स्‍टे से सुनवाई स्‍थगित हो गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में फिर से शुरू हुई है।

मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है। जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दिया है। 15 अगस्त 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर का ही था। अब वादी ने कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की। जिसपर कोर्ट ने विपक्षियों से आपत्ति भी मांगी है।

मंदिर परिसर का ज्ञानवापी मस्जिद एक विवादित अंश है- वादी पक्ष
वादी विजय शंकर रस्तोगी बताते है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से ये विवाद उठाया गया था कि विवादित स्थल यानि ज्ञानवापी मस्जिद की धार्मिक स्थिति 15 अगस्त 1947 को मस्जिद की थी और चल रहे मुकदमे को इसी आधार पर निरस्त कर दिया जाए। जिसके विरूद्द हिंदू पक्ष की ओर से अपने पक्ष रखते हुए कोर्ट में बताया गया कि पूरा विश्वनाथ मंदिर परिसर का ज्ञानवापी मस्जिद एक विवादित अंश है और धार्मिक स्थिति के निर्धारण के लिए साक्ष्यों के आधार पर होना चाहिए।

ज्ञानवापी मस्जिद 500 साल पहले की- प्रतिवादी पक्ष
वहीं प्रतिवादी यानि मस्जिद की ओर के पक्ष ने फैसला लिया है कि वे अपनी आपत्ति 9 जनवरी 2020 को कोर्ट में दाखिल करेंगे और इसके लिए वे प्लेस आफ वर्शिप एक्ट को आधार बनाएंगे। अंजुमन इतजामिया मस्जिद के ज्वाइंट सेकेरेट्री ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद 500 साल पहले की है। उऩ्होंने बताया कि वादी पक्ष की ओर से पुरातात्विक सर्वे कराने की मांग को गलत बताया और कहा कि जब 1936 में यह फैसला कोर्ट सिविल जज ने कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद ऊपर से नीचे तक हल्फी मुस्लिम वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी है और 1942 में इलहाबाद हाई कोर्ट ने उस फैसले को बहाल रखा तो अब सर्वे का कोई मतलब नही है। उसी फैसले को चैलेंज करना चाहिए था।


 

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