Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Jun, 2018 06:14 PM
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- आईआईटी कानपुर ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है और 1960 में मात्र 100 विद्याॢथयों से शुरू हुए इस संस्थान के साथ इस समय 35000 से भी ज्यादा पूर्व छात्र जुड़े हैं। जिन्होने...
कानपुर: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- आईआईटी कानपुर ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है और 1960 में मात्र 100 विद्याॢथयों से शुरू हुए इस संस्थान के साथ इस समय 35000 से भी ज्यादा पूर्व छात्र जुड़े हैं। जिन्होने अभियांत्रिकी, उद्यमिता और तकनीकी के क्षेत्र में झन्डा गाड़ा है।
कानपुर में आईआईटी के 51वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि 1963 में कम्प्यूटर साइन्स के क्षेत्र में इस संस्थान ने अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि तीन दशक पहले ही आईआईटी कानपुर ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश में होने वाली क्रांति का पूर्वानुमान लगा लिया था।
गौरतलब है कि आज इस दीक्षांत समारोह में 186 पीएचडी तथा 307 एम टेक की डिग्री सहित कुल 1576 डिग्रियां बांटी गईं। कोविंद ने छात्रों से आग्रह किया कि वे इस संस्थान से अर्जित ज्ञान को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ें।Z
राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। तकनीकी के जरिए इन कदमों को गति दी जा सकती है। उन्होने छात्रों से आग्रह किया कि करियर को बनाने की प्रक्रिया में वह राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी जरूर दें। उन्होंने कहा कि कानपुर का अपना इतिहास रहा है। 20वीं शताब्दी में कानपुर देश का एक महत्वपूर्ण शहर था और कपड़ा मिलों के कारण इसे पूर्व का मैनचेस्टर कहा जाता था।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम की सफलता के कारण भी यह शहर काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इस कार्यक्रम ने न केवल गंगा को प्रदूषित होने से बचाया है बल्कि औद्योगिक कचरे से भी इसे सुरक्षित किया है। गंगा के पानी का विवेकपूर्ण इस्तेमाल होना चाहिए और गंगा बेसिन को विकसित करना चाहिए। इस काम में सरकार और नागरिक, उद्योग तथा शिक्षाविद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।