Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 28 Nov, 2020 09:22 AM
बॉलीवुड अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि उर्दू ने भारतीय समाज को बहुत कुछ दिया है और उसके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी में जश्ने
लखनऊ: बॉलीवुड अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि उर्दू ने भारतीय समाज को बहुत कुछ दिया है और उसके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी में जश्ने उर्दू के उद्घाटन के अवसर पर रजा मुराद ने कहा कि बॉलीवुड हिन्दी फिल्मों के रूप में प्रचलित अधिकांश फिल्मों की भाषा हिंदुस्तानी भाषा या बोलचाल की हिन्दी है।
उन्होंने बताया कि मुगले आज़म, पाकीज़ा, निकाह, रजि़या सुल्तान जैसी अनेक फिल्मों में उर्दू का इस्तेमाल हुआ है। इसी तरह बालीबुड फिल्मों को कैफी, शकील बदायुंनी, साहिर, मजरूह जैसे शायरों ने लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया है। उर्दू विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रख्यात अभिनेता रज़ा मुराद और शाहबाज़ खान के साथ लेखक एसके प्रसाद उपस्थित थे। इसकी सदारत अब्दुल नसीर नासिर ने की।
दो दिवसीय जश्ने उर्दू अकादमी सभागार में शुरू हुआ। समारोह के दूसरे दिन यहां उर्दू रंगमंच, उर्दू शिक्षा, उर्दू संस्कृति के संग मुशायरे दास्तानगोई के सत्र चलेंगे। फिल्मों पर केन्द्रित पहले सत्र के बाद आज का दूसरा सत्र एसएन लाल के संयोजन में उर्दू पत्रकारिता पर था। यहां वक्ताओं ने कहा कि उर्दू के भविष्य को लेकर जहां लोग फिक्रमंद हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो उर्दू का भविष्य रौशन मानते हैं। फिल्में हों या टीवी धारावाहिक सब जगह उर्दू की जरूरत है। इसलिए यही कहा जा सकता है कि उर्दू पत्रकारिता का भविष्य रौशन है, मगर सवाल इस बात का है कि जिनके हाथ में यह भविष्य है, वह रौशन जेहन के संग कलम के धनी हैं कि नहीं।
उर्दू मीडिया के उजले पक्ष को देखा जाए, तो यह पीत पत्रकारिता से काफी हद तक दूर है। केंद्र सरकार और कुछ अन्य मीडिया समूह उर्दू चैनल्स लाए हैं। उर्दू अखबारों की वेबसाइटें और ई-संस्करण इत्यादि भी खासे हैं। अनेक अखबारों ने उर्दू के लिए हिंदी की देवनागरी लिपि भी अपनाई है। इन सबसे तो यही संकेत मिलता है कि उर्दू पत्रकारिता के लिए माहौल पहले से सुधरा और प्रतिस्पर्धा भरा है। उर्दू सहाफत के ऐतिहासिक सामाजिक पक्ष को समेटे इस सत्र में हिसाम सिद्दीक़ी,ए.वी.सिंह, अफीफ सिराज व फैजान मुसन्ना इत्यादि शामिल हुए।