सर्वे के मुताबिक- UP के वोटरों ने राम मंदिर, हिंदुत्व को नहीं, विकास को दी प्राथमिकता

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 13 Mar, 2022 11:06 AM

according to the survey up voters gave priority to development

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे तब उनके लिए विकास और सरकारी कामकाज शीर्ष प्राथमिकता में थे, जबकि राममंदिर और हिंदुत्व का उन पर अधिक प्रभाव नहीं था। यह बात चुनाव बाद किए..

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे तब उनके लिए विकास और सरकारी कामकाज शीर्ष प्राथमिकता में थे, जबकि राममंदिर और हिंदुत्व का उन पर अधिक प्रभाव नहीं था। यह बात चुनाव बाद किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आयी है। सर्वेक्षण के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार की तुलना में केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रति लोगों में तीन गुना ज्यादा आकर्षण था और ''मोदी के जादू'' ने 37 वर्षों बाद किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की। लोकनीति-सीएसडीएस चुनाव सर्वेक्षण कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के एक नए समूह की ओर भी इशारा करता है, जैसे कि किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, सभी जाति और धर्म के लोगों को मुफ्त राशन योजना के लाभार्थी, जिसने सत्तारूढ़ दल को तरजीह दी।

व्यापक डेटा संग्रह में एक महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आया, वह यह है कि चुनाव पूर्व सभी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा को किसानों, ब्राह्मणों के बीच अधिक समर्थन मिला। साथ ही भाजपा ने अनुसूचित जातियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ायी, यहां तक कि मायावती के मूल ‘वोट बैंक' जाटवों के बीच भी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार फिर से निर्वाचित होकर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने तीन दशक पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इस सवाल पर कि आकार और भौगोलिक पहुंच के मामले में सर्वेक्षण कितना विश्वसनीय था, इस पर ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज में लोकनीति कार्यक्रम के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार ने बताया कि यह एक व्यापक नमूना (सैंपल) था, जो किसी भी सर्वेक्षण के सटीक होने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक था।

अड़तीस प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि विकास उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है, 12 प्रतिशत मतदाताओं ने सरकार बदलने के इरादे से मतदान केंद्र तक आने की बात कही जबकि 10 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने सरकार के कामकाज को ध्यान में रखा। आश्चर्यजनक रूप से राम मंदिर और हिंदुत्व के मुद्दे को केवल 2 प्रतिशत उत्तरदाताओं के बीच समर्थन मिला और विपक्षी दलों द्वारा छुट्टा जानवरों के मामले को लेकर योगी सरकार पर किये गये हमले को भी जवाब देने वालों ने प्राथमिकता नहीं दी। चुनाव प्रचार के दौरान भी यह देखा गया कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की अधिक बात की गई लेकिन यह अयोध्या में भी एक प्रमुख चुनावी मुद़्दा नहीं था, बल्कि प्रतिस्पर्धी दलों ने विकास के मुद्दे को अधिक प्रमुखता से उठाया था। अयोध्या में बीकापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धन्नीपुर गांव में भी, जहां एक नयी मस्जिद के निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पांच एकड़ भूमि आवंटित की गई है, वहां रोजमर्रा के जीवन से जुड़े पहलुओं को ज्यादा तरजीह मिली और इसे भी किसी उम्मीदवार ने चुनावी मुद्दे का रूप नहीं दिया।

भाजपा के सभी स्टार प्रचारकों ने रक्षा के क्षेत्र में सरकार के मजबूत कामकाज और युद्धग्रस्त यूक्रेन से फंसे छात्रों को निकालने पर प्रकाश डाला। यह मुद्दा इस तथ्य में भी परिलक्षित होता है कि 2017 की तुलना में 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ शुद्ध संतुष्टि में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि के दौरान केंद्र के लिए यह वृद्धि 24 प्रतिशत थी। ‘द हिंदू' द्वारा विशेष रूप से प्रकाशित अध्ययन का एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के एक नए समूह का उदय था। उत्तर प्रदेश में पांच में से लगभग चार परिवार मुफ्त राशन योजना से लाभान्वित हुए हैं और पांच में से तीन को पीडीएस योजना से लाभ हुआ है जो सब्सिडी वाली कीमत पर राशन प्रदान करती है।

चुनावों के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों से बात करते हुए, यह पता चला कि परिवारों की महिलाओं, यहां तक ​​कि विपक्षी दलों के प्रति निष्ठा रखने वाली महिलाओं ने भी संकट के समय में कल्याणकारी योजनाओं के लिए भाजपा का समर्थन किया। मोदी और साथ ही योगी “पक्के मकान”, कोरोना वायरस महामारी के दौरान मुफ्त राशन के लाभार्थियों की संख्या और केंद्र सरकार की 5 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना से लोगों को मिलने वाले लाभों का उल्लेख करना कभी नहीं भूलते। सर्वेक्षण ने ब्राह्मणों के राज्य सरकार से नाराज होने और स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी जैसे नेताओं के भाजपा छोड़कर जाने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राज्य सरकार के खिलाफ सपा के पक्ष में एकजुट होने की खबरों के आलोक में जाति अंकगणित विपक्षी दलों के पक्ष में होने को भी गलत बताया।

सर्वेक्षण से पता चलता है कि भाजपा को ब्राह्मणों के 89 प्रतिशत वोट मिले, जो 2017 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक है। ब्राह्मणों के बीच सपा का समर्थन पिछली बार के 7 प्रतिशत से 1 प्रतिशत गिर गया और मायावती के दलित-ब्राह्मण की ‘सोशल इंजीनियरिंग' धराशायी हो गई। बसपा को ब्राह्मणों से कोई समर्थन नहीं मिला, जिनमें से 2 प्रतिशत ने उसे पिछली बार समर्थन किया था। अनुसूचित जातियों के बीच भाजपा का समर्थन भी बढ़ा है। मायावती के जाटव वोट बैंक में भी भाजपा का समर्थन 2017 में 8 फीसदी से बढ़कर 2022 में 21 फीसदी हो गया, जबकि मायावती के प्रति उसका समर्थन 87 फीसदी से घटकर 65 फीसदी हो गया।

गैर-जाटव अनुसूचित जातियों में भी, भाजपा को पिछली बार 32 प्रतिशत की तुलना में 41 प्रतिशत लोगों का वोट मिला। किसानों के आंदोलन और सपा-रालोद गठबंधन के बावजूद, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने किसान परिवारों के मतदाताओं के बीच सपा पर 13 प्रतिशत अंक की बढ़त हासिल की। सर्वेक्षेण के बारे में बात करते हुए संजय कुमार ने कहा कि ‘एग्जिट पोल' और चुनाव बाद सर्वेक्षण में अंतर होता है। उन्होंने कहा, ‘‘एक्जिट पोल मतदान के दिन मतदान केंद्र पर किया जाता है, जबकि चुनाव बाद सर्वेक्षण मतदान बूथ पर नहीं किया जाता है, बल्कि आम तौर पर मतदान समाप्त होने के एक या दो दिन बाद जवाब देने वाले के घर पर किया जाता है।'' उन्होंने कहा कि सभी साक्षात्कार 10 मार्च को मतगणना से पहले पूरे किए गए थे। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!