Loksabha Election 2019: एक नजर फूलपुर लोकसभा सीट पर

Edited By Deepika Rajput,Updated: 08 May, 2019 04:40 PM

a look at phulpur lok sabha seat

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के अंतर्गत 8 और दूसरे चरण के अंतर्गत 8, तीसरे चरण के अंतर्गत 10, चौथे चरण में 13 और पांचवें चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं।

फूलपुरः उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के अंतर्गत 8 और दूसरे चरण के अंतर्गत 8, तीसरे चरण के अंतर्गत 10, चौथे चरण में 13 और पांचवें चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं। वहीं 12 मई को छठे चरण में 14 लोकसभा सीटों सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही में मतदान होने जा रहे हैं। इस खबर में हम आपको फूलपुर सीट के बारे में बताने जा रहे हैं।

फूलपुर लोकसभा सीट को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है। इलाहाबाद से सटी ये सीट कई मायनों में अहम है। बीजेपी इस सीट पर कभी जीत नहीं पाई थी, लेकिन 2014 के मोदी लहर में सवार होकर केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया। 3 साल बाद जब केशव सूबे के उपमुख्यमंत्री बने तब यहां उपचुनाव हुए। 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के हाथ से ये सीट दोबारा निकल कर सपा के हाथ में पहुंच गई और नागेंद्र प्रताप पटेल ने कमल को फिर से मुरझा दिया।

अगर बात करें इस सीट के संसदीय इतिहास की तो इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए। पंडित नेहरू ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत कर देश के पहले प्रधानमंत्री बने। पंडित नेहरू ने इस सीट से 1957 और 1962 का चुनाव भी जीता। 1962 के चुनाव में नेहरू के धुर विरोधी रहे राममनोहर लोहिया यहां से चुनाव लड़े, लेकिन नेहरू के आगे हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1964 में पंडित नेहरू की मौत के बाद हुए उपचुनाव में पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचीं। विजय लक्ष्मी के सामने इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी से जनेश्वर मिश्र चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
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1969 में विजयलक्ष्मी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया तब कांग्रेस ने यहां उपचुनाव में केशवदेव मालवीय को मैदान में उतारा, लेकिन सोशलिस्ट पार्टी से उतरे जनेश्वर मिश्र ने उन्हें हरा दिया और सांसद बने। 1967 के बाद 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस ने वीपी सिंह को इस सीट से चुनाव लड़ाया। वीपी सिंह यहां से जीत गए, लेकिन आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस यहां से दोबारा हार गई। भारतीय लोकदल से कमला बहुगुणा सांसद बनी। 1980 के चुनाव में जेएनपी सोशलिस्ट पार्टी से बीडी सिंह ने कमला बहुगुणा को चुनाव हरा दिया और संसद पहुंचे।

1984 के चुनाव में कांग्रेस के रामपूजन पटेल यहां से दोबारा कांग्रेस का खाता खोला। रामपूजन इसके बाद 1989 में जनता दल में शामिल हो गए और सांसद बने। 1989 और 1991 के चुनाव में रामपूजन जनता दल से ही सांसद रहे, लेकिन 1996 के चुनाव में यहां सपा का खाता खुला और जंगबहादुर सिंह पटेल यहां से सांसद बने। 1998 के चुनाव में भी जंगबहादुर ही सांसद बने। 1999 के चुनाव में सपा ने अपना प्रत्याशी बदला। यहां से धर्मराज सिंह पटेल सांसद बने। 2004 के चुनाव में सपा से अतीक अहमद यहां चुनाव जीते। 2009 में बसपा के कपिल मुनी करवरिया सांसद बने और 2014 के चुनाव में यहां बीजेपी का खाता खुला और केशव मौर्य सांसद बने।

केशव मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद यहां उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली और सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह सांसद बने। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से केशरी देवी पटेल को प्रत्याशी बनाया है। गठबंधन में सपा के खाते में गई इस सीट पर पंधारी यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस और अपना दल कृष्णा पटेल गुट के बीच हुए समझौते में ये सीट कांग्रेस ने कृष्णा पटेल गुट वाले अपना दल को दिया है और पंकज निरंजन यहां से उम्मीदवार है।

फूलपुर लोकसभा सीट में आती हैं 5 विधानसभा
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फूलपुर लोकसभा संसदीय सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें फाफमऊ, सोरांव, फूलपुर, इलाहाबाद पश्चिम और इलाहाबाद उत्तर सीटें शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 में से 4 पर बीजेपी और एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी।

एक नजर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर
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2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर कुल 17,57,047 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,83,213 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8,91,797 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 209 है।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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फूलपुर लोकसभा सीट के लिए 2014 में हुए चुनाव में बीजेपी ने पहली बार अपना खाता खोला और केशव प्रसाद मौर्य यहां से सांसद बने। केशव मौर्य ने सपा के धर्मराज सिंह पटेल को चुनाव हराया। मौर्य को कुल 5,3,564 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे सपा के धर्मराज सिंह पटेल को कुल 1,95,256। तीसरे नंबर पर बसपा के कपिल मुनी करवरिया रहे, जिन्हें 1,63,710 वोट मिले।

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे
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2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के कपिल मुनी करवरिया यहां से जीत कर बसपा का खाता खोला। कपिल मुनी ने सपा के श्यामा चरण गुप्ता को चुनाव हराया था। कपिल को कुल 1,67,542 वोट मिले। जबकि श्यामा चरण गुप्ता को कुल 1,52,964 वोट मिले। तीसरे नंबर पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सोने लाल पटेल रहे, जिन्हें 1,07,895 वोट मिले।

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे
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2004 के लोकसभा चुनाव में सपा से अतीक अहमद यहां से चुनाव जीते। अतीक अहमद को कुल 2,65,432 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा की केसरी देवी पटेल रही। केशरी देवी को कुल 2,1,85 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के बेनी माधव बिंद रहे, जिन्हें 1,51,509 वोट मिले।





 

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