राम मंदिर निर्माण के 80% तराशे पत्थरों पर जमी काई से संत हुए नाराज

Edited By Ruby,Updated: 17 Sep, 2018 12:31 PM

अयोध्या विवादित भूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जहां सुलह समझौते का मशवाद तैयार हो रहा है तो वहीं एक पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में भी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला में सितम्बर 1990 से राजस्थान की खदानों से...

अयोध्या(अभिषेक सावन्त): अयोध्या विवादित भूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जहां सुलह समझौते का मशवाद तैयार हो रहा है तो वहीं एक पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में भी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला में सितम्बर 1990 से राजस्थान की खदानों से पत्थर मंगवा कर पत्थरों की तराशी की जा रही है। माना जा रहा है कि 70 प्रतिशत कार्य मंदिर निर्माण का पूरा हो चुका है। 

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वहीं जैसे जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समय नजदीक आ रहा है मंदिर निर्माण में एक और बाधा सामने आ रही है। यह बाधा कोई और नहीं बल्कि पत्थरों पर लगी काई बताई जा रही है। संतो का दावा है कि काई लगे पत्थरों से भव्य राम लला का मंदिर निर्माण नहीं हो सकता। मंदिर के मुख्य पुजारी ने यह तक आरोप लगा दिया कि सरकार जानती है कि 2019 में मंदिर निर्माण संभव नहीं है ऐसे में पत्थरों को साफ सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि उनकी तरफ से पूरी तैयारी  है।

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राम भक्तो की आस्था के साथ खिलवाड़ 
आस्था की नगरी अयोध्या के सबसे बड़े विवाद बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद में जहां सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर तक निर्णय देने पर विचार कर रही है। वहीं हिन्दू पक्षकारों में निर्मोही अखाड़ा राम लाल विराजमान व अन्य संत-महंत केंद्र और प्रदेश सरकार से जल्द मंदिर निर्माण करवाए जाने का प्रस्ताव रखा है। वहीं अगर दूसरी तरफ देखे तो राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास का आरोप है कि राम मंदिर निर्माण के लिए आए पत्थरों की तराशी के बाद उनका सही रख रखाव नहीं किया गया जिससे पत्थरो में काई जम गई है जोकि मंदिर निर्माण का रूपरंग खराब दिखेगा। राम लला मुख्य पुजारी ने यह भी कहा कि राम भक्तो को गुमराह किया जा रहा है। तराशे गए पत्थरों पर ध्यान ना देने का कारण ही है कि सरकार जानती है कि 2019 से पहले वह मंदिर निर्माण का कार्य नहीं शुरू करेगी।  

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मंदिर निर्माण के लिए देह त्यागने की पीएम मोदी को चेतावनी 
वहीं आचार्य तपसी महाराज कुछ दिन पूर्व आमरण अनशन की धमकी दे चुके हैं। तपसी महाराज ने चेतवानी दी है कि मंदिर निर्माण के लिए देह त्याग देंगे। उनका कहना है कि अगर हिन्दू पक्ष में फैसला आया तो फैसला आने के कई महीनों तक पत्थरों की काई साफ करने में समय लग जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के 2 अक्टूबर को रिटायर होने से पहले सुनवाई पर कहा कि संभावना है कि मंदिर निर्माण में फैसला आ जाए ऐसे में पत्थरों पर लगी काई की साफ सफाई के लिए कार्य शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं बावजूद इसके पीएम मोदी राम लला के दर्शन को अयोध्या नहीं आये यह निंदनीय है। 

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80% से ज्यादा पत्थरों पर जमी है काई   
कार्यशाला के समीप स्थानीय निवासी डॉ सुधीर राय ने कहा कि वह कई वर्षों से अयोध्या में रह रहे हैं। पत्थरों की खेप अयोध्या पहुंचती है जिसके बाद उन्हें तराशा जाता है, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि रंगहीन हो चुके पत्थरों पर न्यास कोई ध्यान नहीं दे रहा है। डॉ सुधीर का कहना है कि 80% से ज्यादा पर काई लग गई है। मंदिर निर्माण के लिए काई लगे पत्थरों का प्रयोग में लाना आस्था के खिलाफ है। इसके लिए उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।

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राम मंदिर निर्माण की व्यवस्था कर गए है स्वर्गीय अशोक सिंघल 
न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की अनुपस्थिति में उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने पत्थरों की काई के सवाल पर कहा कि स्वर्गीय अशोक सिंघल जी ने मंदिर निर्माण की रूप रेखा जैसी बनाई उसी के अनुरूप कार्य हो रहा है। न्यायालय से मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला आते ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश की बीजेपी सरकार पर दबाव बनाने के लिए संत धर्माचार्यो की बैठक 5 अक्टूबर को दिल्ली में की जाएगी। उच्चाधिकार की बैठक में विकल्प की संभावनाएं व विचार पर मंथन होगा। 
 

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