312 रुपए के लिए 41 साल चला मुकद्दमा, वादी की 13 साल पहले हो चुकी है मौत

Edited By Anil Kapoor,Updated: 12 Sep, 2018 01:20 PM

41 years have passed for 312 rupees plaintiff has died 13 years ago

देश की अदालतों में लंबित मुकद्दमों के निस्तारण को लेकर लगातार बहस होती रहती है। यहां तक की न्यायपालिका और सरकार द्वारा त्वरित न्याय के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं फिर भी ज्यादातर मामलों में फैसले का इंतजार करते-करते लोगों की मौत तक हो जाती है।

लखनऊ: देश की अदालतों में लंबित मुकद्दमों के निस्तारण को लेकर लगातार बहस होती रहती है। यहां तक की न्यायपालिका और सरकार द्वारा त्वरित न्याय के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं फिर भी ज्यादातर मामलों में फैसले का इंतजार करते-करते लोगों की मौत तक हो जाती है।

ऐसा ही एक मामला मिर्जापुर जिले में सामने आया है। जहां महज 321 रुपए की कोर्ट फीस को लेकर दायर एक मुकद्दमे का फैसला आने में 41 साल का समय लग गया और जब फैसला याची के हक में आया तो वह फैसले पर खुशी जताने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं है। याची के रूप में केस लड़ने वाली इस गंगा देवी की मौत 2005 में ही हो चुकी है। दरअसल 1975 में जमीनी विवाद के एक मामले में कोर्ट फीस के रूप में 312 रुपए की रकम जमा करने को लेकर गंगा देवी को नोटिस भेजा गया था जबकि उन्होंने कोर्ट फीस पहले ही जमा कर दी थी लेकिन जमा की पर्ची फाइल से कहीं गायब हो गई थी। इसको लेकर गंगा देवी ने कोर्ट में मुकद्दमा दायर कर दिया।

1975 से चल रहे 312 रुपए की कोर्ट फीस के मामले में 41 साल तक चले ट्रायल में अंतिम सुनवाई करते हुए मिर्जापुर की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) लवली जायसवाल ने 31 अगस्त को फैसला गंगा देवी के पक्ष में सुनाया। कोर्ट ने यह माना कि याची ने कोर्ट फीस अदा कर दी थी लेकिन फाइल में गड़बड़ी के कारण यह मामला चलता रहा।

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