Shri Krishna Janmabhoomi case : श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह मामले पर 25 से बहस

Edited By Mamta Yadav,Updated: 21 Jul, 2022 09:57 PM

25 debate on shri krishna janmabhoomi shahi masjid idgah case

ठा केशवदेव जी महराज विराजमान मन्दिर कटरा केशवदेव मथुरा के वादमित्र एवं भक्त होने का दावा करने वाले दिल्ली निवासी जय भगवान गोयल एवं अन्य के अधिवक्ता के अलावा इस मामले के एक वादी राजेन्द्र माहेश्वरी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह ने आज...

मथुरा: मथुरा की एक अदालत ने गुरूवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही मस्जिद ईदगाह मामले की पोषणीयता पर पहले सुनवाई करने का आदेश पारित किया है। ठा केशवदेव जी महराज विराजमान मन्दिर कटरा केशवदेव मथुरा के वादमित्र एवं भक्त होने का दावा करने वाले दिल्ली निवासी जय भगवान गोयल एवं अन्य के अधिवक्ता के अलावा इस मामले के एक वादी राजेन्द्र माहेश्वरी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह ने आज किये गए आदेश में अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।      

उन्होंने बताया कि आदेश के अनुसार 25 जुलाई के बाद इस वाद की सुनवाई रोज तीन बजे बाद होगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि 25 जुलाई से वाद की पोषणीयता पर बहस होगी। ठा केशवदेव जी महराज विराजमान मन्दिर कटराकेशवदेव मथुरा के वादमित्र एवं भक्त होने का दावा करते हुए दिल्ली निवासी जय भगवान गोयल, धर्मरक्षा संघ के संस्थापक अध्यक्ष वृन्दावन निवासी सौरभ गौड़, राजेन्द्र माहेश्वरी जो इस वाद के वादी और इसके मुख्य अधिवक्ता हैं, मथुरा निवासी अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह तथा प्रतिवादी ईतजामिया कमेटी शाही मस्जिद ईदगाह, यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोडर्, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान हैं।

इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान नाटकीय मोड़ इस बात पर आ गया था कि पहले यह मुद्दा तय किया जाय कि वाद पोषणीय है या नहीं अथवा पहले यह मुद्दा तय किया जाय कि शाही मस्जिद ईदगाह का सर्वे आवश्यक है। अधिवक्ता राजेन्द्र माहेश्वरी का कहना था कि शाही मस्जिद ईदगाह में मौजूद हिन्दू मन्दिर के चिन्हों को नष्ट करने से बचाने के लिए मस्जिद का सर्वे पहले कराना जरूरी है।        उनकी यह भी दलील थी कि वैसे भी इसकी आवश्यकता को समझते हुए ही रिवीजन कोर्ट ने दिन प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश दिया था जबकि बचाव पक्ष अपनी इस दलील पर अड़ा था कि पहले यह निश्चित हो जाना चाहिए कि नियम 7/11 सीपीसी के अन्तर्गत यह वाद पोषणीय है या नही।

बचाव पक्ष की दलील थी कि नियम 7/11 सीपीसी के तहत यह वाद पोषणीय नहीं है क्योंकि प्लेसेज आफ वर्शिप ऐक्ट के तहत वाद विचार करने योग्य नहीं है, साथ ही समय अवधि समाप्त हो जाने के कारण भी वाद विचारणीय नहीं है। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने आज अपने आदेश में लिखा है कि पहले वाद की पोषणीयता पर 25 जुलाई से प्रतिदिन बहस की जाएगी।

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