'23 साल बाद मुझे न्याय मिला' कहते ही भावुक हुई जवाहर की पत्नी, बोलीं- आसान नहीं था सफर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 04 Nov, 2019 06:12 PM

23 years later i found jawahar s wife crying as soon as i said justice

चर्चित जवाहर यादव हत्याकांड में 23 साल बाद कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए करवरिया ब्रदर्स समेत 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है। इस पर सपा विधायक की पत्नी विजमा यादव ने कहा कि 23 साल बाद मुझे इंसाफ मिला है। मुझे न्याया...

प्रयागराजः चर्चित जवाहर यादव हत्याकांड में 23 साल बाद कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए करवरिया ब्रदर्स समेत 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है। इस पर सपा विधायक की पत्नी विजमा यादव ने कहा कि 23 साल बाद मुझे इंसाफ मिला है। मुझे न्यायालय पर भरोसा था। मुझे 23 साल तक बच्चो के संग संघर्श करना पड़ा, ये सफर आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे आज लग रहा है कि न्यायालय में देर है, लेकिन अंधेर नहीं है। फैसले के लिए मैं अदालत का आभार व्यक्त करती हूं।

हत्याकांड के चारों आरोपियों को उम्रकैद की सजा
कोर्ट ने करवरिया ब्रदर्स समेत जेल में बंद चारों आरोपियों को आईपीसी की धारा 147, 148, 302, 307 और 7 सीएलए एक्ट के तहत दोषी करार दिया है। अदालत ने चारों आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ 7 लाख 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट के अंदर नहीं था परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद
फैसला सुनाए जाने के वक्त तीनों करवरिया ब्रदर्स समेत चारों आरोपी कोर्ट रूम में मौजूद थे। कोर्ट कैम्पस में करवरिया ब्रदर्स के सैकड़ों समर्थक भी मौजूद थे। इस दौरान कोर्ट कैम्पस से लेकर बाहर सड़क तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। वादी पक्ष की तरफ से दिवंगत विधायक जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही 23 साल बाद आए फैसले पर पत्नी की आंखों में आंसू छलक उठे हालांकि कोर्ट के अंदर परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नही था।

इस मामले में यूपी की योगी सरकार को पहले ही लगा बड़ा झटका
इस चर्चित मामले में यूपी की योगी सरकार को पहले ही बड़ा झटका लग चुका है। योगी सरकार ने आरोपियों से केस वापस लेने का ऐलान किया था, लेकिन अदालत ने योगी सरकार के फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ट्रिपल मर्डर केस में सुनवाई ख़त्म होने के वक्त केस वापस लिया जाना कतई ठीक नहीं है। अदालत के आज के फैसले से यह साफ़ हो गया है कि योगी सरकार द्वारा आरोपियों के केस वापस लेने का उसका फैसला गलत था। यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद अग्रहरि ने पूरा पक्ष रखा था, जबकि विजमा यादव की तरफ से लल्लन यादव ने दलीलें पेश की थीं। इस सनसनीखेज मुक़दमे का ट्रायल साल 2014 में शुरू हुआ था।

क्या है मामला?
गौरतलब है कि इलाहाबाद की झूंसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए जवाहर यादव उर्फ़ पंडित और उनके दो सहयोगियों को 13 अगस्त 1996 को इलाहाबाद के ही पाश इलाके सिविल लाइंस में दिनदहाड़े क़त्ल कर दिया गया था। जवाहर पंडित के परिवार वालों की शिकायत पर पुलिस ने इलाहाबाद के रसूखदार करवरिया परिवार के पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। करवरिया परिवार के तीन सदस्य बाद में जनप्रतिनिधि चुने गए। सबसे बड़े भाई कपिलमुनि करवरिया साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फूलपुर के सांसद बने तो छोटे भाई उदयभान 2002 और 2007 में दो बार बीजेपी के टिकट पर इलाहाबाद की बारा सीट से विधायक चुने गए। मझले भाई सूरजभान करवरिया भी बीएसपी से यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे।

विधायक जवाहर पंडित समेत ट्रिपल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की। बाद में तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के दखल पर जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गईं। सीबीसीआईडी की जांच भी उसकी तीन यूनिटों इलाहाबाद, वाराणसी और लखनऊ ने की। सीबीसीआईडी की लखनऊ यूनिट ने आठ साल बाद जांच पूरी कर साल 2004 में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमें करवरिया ब्रदर्स समेत सभी 5 नामजद आरोपियों के नाम शामिल थे। इस मामले में करवरिया ब्रदर्स पिछले करीब 6 सालों से जेल में बंद हैं।

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