Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Jan, 2019 06:30 PM
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले की एक अदालत ने गर्भवती पत्नी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी मानते हुए उसके पति को 10 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ एक लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया है। अर्थ दंड नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी...
सहारनपुरः उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले की एक अदालत ने गर्भवती पत्नी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी मानते हुए उसके पति को 10 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ एक लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया है। अर्थ दंड नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 15 जून 2015 को कस्बा नानौता में गर्भवती महिला नगमा की जहर खाने से मृत्यु हो गई थी। नगमा के पिता रईस अहमद ने नगमा का शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराया था। नगमा के विसरे में जहर पाया गया था। पुलिस ने रईस अहमद की शिकायत पर उसके पति आलिम के खिलाफ नानौता पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने, शारीरिक उत्पीडऩ करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
मुकदमें की सुनवाई करते हुए अपर जिला सत्र न्यायाधीश (देवबंद) डा.राकेश नयन ने आलिम को दोषी मानते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा अदालत ने अभियुक्त पर एक लाख रूपये का अर्थ दण्ड लगाया और उसमें से आधी रकम पीड़ित पक्ष को देने के आदेश भी दिए। मामले में सरकारी वकील देवीदयाल शर्मा ने पैरवी की। सं त्यागी वार्ता