Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Jul, 2018 10:04 AM
भारतीय जनता पार्टी के लिए 2019 के मिशन में जीत हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य बिहार है, पर बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल-यू ने भारतीय जनता पार्टी के दबाव में राजनीति करनी शुरू कर दी है।
जालंधर\लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के लिए 2019 के मिशन में जीत हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य बिहार है, पर बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल-यू ने भारतीय जनता पार्टी के दबाव में राजनीति करनी शुरू कर दी है। जनता दल-यू ने नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
जनता दल-यू के इस सियासी पैंतरे के साथ भारतीय जनता पार्टी को तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में परेशानी खड़ी हो सकती है। लिहाजा भाजपा के प्रधान अमित शाह जनता दल-यू के साथ चल रही खींचतान को हल करने के लिए 12 जुलाई को बिहार के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी और जनता दल-यू के बीच सीटों के तालमेल को लेकर आखिरी फैसला हो सकता है।
दरअसल जनता दल-यू बिहार में अधिक लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जनता दल-यू बिहार में ही दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी है। भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि सीटों का बंटवारा 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर होना चाहिए और भाजपा जनता दल-यू को 10 से 12 सीटें देने के हक में है जबकि जनता दल-यू का तर्क है कि सीटों का बंटवारा 2015 की बिहार विधानसभा नतीजों के आधार पर हो।
मायावती की कांग्रेस के साथ सौदेबाजी
जिस तरीके से जनता दल-यू भाजपा के दबाव में सियासत खेल रही है उस तरीके से मायावती की बसपा ने भी कांग्रेस के साथ दबाव में सियासत खेलना शुरू कर दिया है। मायावती की तरफ से मध्य प्रदेश और राजस्थान में उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया गया है। अगर बसपा इन राज्यों में अपने तौर पर मैदान में उतरती है तो कांग्रेस को इसका नुक्सान उठाना पड़ेगा। इन राज्यों में कांग्रेस के साथ गठजोड़ के लिए मायावती कुछ लोकसभा सीटों की मांग कर रही है, लेकिन कांग्रेस इन राज्यों में अपनी लोकसभा सीटें छोडऩे के लिए तैयार नहीं है। मायावती के इस पैंतरे के जवाब में कांग्रेस यूपी में 20 सीटों की मांग कर रही है।