Edited By Ajay kumar,Updated: 16 Aug, 2018 05:36 PM
योगी सरकार के लाख दावों के बावजूद प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं लचर बनी हुई हैं। इसकी सच्चाई स्थानीय ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र हैं। जिनमें ना तो पूरा स्टाफ है और ना ही जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
मथुरा (मदन सारस्वत)-योगी सरकार के लाख दावों के बावजूद प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं लचर बनी हुई हैं। इसकी सच्चाई स्थानीय ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र हैं। जिनमें ना तो पूरा स्टाफ है और ना ही जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में उचित व्यवस्था ना होने की वजह से लोग प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों का रुख करने को मजबूर हैं। जब इस विषय पर डाॅक्टर से बात की गई तो वह भी सफाई देते नजर आए।
दरअसल यह मामला मथुरा के थाना बलदेव क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जहां प्रसव के लिए आई महिला बाहर बेंच पर लेटी हुई दिखाई दे रही है। यह अपनी मर्जी से नहीं अस्पताल की मर्जी से बेंच पर लेटी हुई है कारण वार्ड में पंखे का ना चलना और स्टाफ द्वारा सुविधा उपलब्ध ना कराना है।
यह इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति नई नहीं है। लगातार ऐसी स्थिति में यह स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है। जबकि प्रसव कराने आई महिला का कहना था कितना समय हो जाने के बाद भी किसी ने मेरा हाल नहीं जाना है और ना ही मुझे कमरे में लिटाया गया है। जबकि परिजनों का भी साफ तौर पर यही कहना है कि इस अस्पताल में कभी भी ना तो स्टाफ रहता है आैर ना ही पर्याप्त दवाइयां मिल पाती हैं।
गर्मी के समय में भी पंखे का ना होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। सरकार ने इस अस्पताल को जनरेटर की सुविधा भी प्रदान की हुई है। सवाल ये है कि क्या इसे चलाने के लिए काेई कर्मचारी नहीं है। या फिर ये माना जाए कि सरकार के पास जनरेटर में डालने के लिए डीजल उपलब्ध नहीं है।
यहां रिकॉर्ड के हिसाब से तो 30 लोगों की पोस्टिंग है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ आैर ही बयां कर रही है। पूरे अस्पताल में न स्टाफ दिखाई दे रहा है आैर ना ही कर्मचारी। सिर्फ एक डॉक्टर नजर आ रहा है।