Edited By ,Updated: 15 Nov, 2016 07:16 PM
विदेश जाकर घर के हालातों को ठीक करूंगा यही सोचकर आज के समय में गरीबी घराने का लड़का विदेश जाने की सोचता है। लेकिन वहां जाकर उसके साथ क्या होगा ये शायद उसे भी नहीं पता।
आगरा: विदेश जाकर घर के हालातों को ठीक करूंगा यही सोचकर आज के समय में गरीबी घराने का लड़का विदेश जाने की सोचता है। लेकिन वहां जाकर उसके साथ क्या होगा ये शायद उसे भी नहीं पता। ऐसा ही कुछ सोचा था लखनऊ के चौपटिया कॉलोनी से रहने वाले अयाज ने। अयाज की मां का काफी पहले देहांत हो चुका है, पिता का बिजनेस भी सालों से बंद पड़ा है। घर के हालात सुधारने के लिए अयाज अच्छी नौकरी और सैलरी के नाम पर सऊदी गया लेकिन वहां जाकर फंस गया।
अयाज अब वापस आने के लिए मदद की गुहार लगा रहा है। उसका कहना है कि जल्द ही उसे वहां से नहीं निकाला गया तो उसकी मौत हो जाएगी। टॉर्चर की वजह से 24 साल की उम्र में ही उसे हार्ट अटैक भी पड़ चुका है। वह एक एजेंट के जरिए सऊदी गया। 3-4 महीने की दौड़ भाग के बाद वीजा भी मिल गया, जिसमें जेद्दाह में एक आलीशान शोरूम में 8 घंटे कैश काउंटर पर बैठने की जॉब का जिक्र था। इसके लिए 1500 रियाल और रहने-खाने की व्यवस्था देने की बात कही गई थी। खुशी-खुशी 4 अगस्त 2016 को सऊदी के लिए निकल गया।
अयाज ने बताया कि मुझसे 12 घंटे मजदूरी कराकर 1100 रियाल तनख्वाह दी जाती है। खाने और रहने का इंतजाम भी अपने पैसों से करना पड़ता है। 12 घंटे मजदूरी के बाद रेगिस्तान में 4 किलोमीटर दूर जाकर खाने का सामान लेकर आते हैं और फिर बनाते हैं। 24 घंटे में सिर्फ 5 घंटे ही सोने को मिलता है। सुबह में फिर रात का ही बना खाना खाते हैं, वह भी ज्यादातर खराब हो चुका होता है। उसने बताया, मालिकों ने कहा- तुम्हे यहां बुलाने में 2800 रियाल खर्च आया है, वो पैसे दे दो और अपने टिकट किराए का इंतजाम करो मब वापस भेजा जाएगा। अयाज ने बताया कि वह विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री और अखिलेश यादव को भी मदद के लिए टवीट करेंगे।
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