महोबा: 500 और 1000 के नोट बंद हो जाने से बुंदेलखंड में अवैध खनन के कारोबारियों की कमर टूट गयी है। बड़ी करेंसी के अभाव में लेन देन बंद हो जाने के कारण खनिज उद्योग की गतिविधियां एकदम से ठप हो गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुंदेलखंंड क्षेत्र में अवैध खनन की शिकायत मिलने पर इसकी केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच शुरू कराने का आदेश दिया था लेकिन अब बड़े नोट पर रोक लगने से काले धंधे में लगे कारोबारियों की कमर अपने आप ही टूट गई।
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा, चित्रकूट, हमीरपुर, बांदा, जालौन, झांसी और ललितपुर प्रमुख खनिज कारोबारी जिलों में शुमार है। यहाँ मौजूद नदियों और पहाडो में मोरंग, ग्रेनाईट और गोरा पत्थर (डायस फॉर पेराफलाइद) के खनन से ही राज्य सरकार को सालाना लगभग 2000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है जबकि माफियों द्वारा अवैध खनन से तीन गुना अधिक कमाई होने की बात कही जाती है।
खनन माफिया के पास डंप करोड़ों के कालाधन को ठिकाने लगाए जाने की आशंका पर आयकर और खुफिया अधिकारियों ने अपनी नजरें गड़ा दी हैं। कबरई के क्रेशर उद्योग से जुड़े एक बड़े कारोबारी दिनेश कुमार ने बताया कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट पर रोक लगने से ग्रेनाईट व्यवसाय का तो पहिया ही जाम हो गया। स्टोन क्रेशरों में लाखों रुपये का तैयार माल डंप पड़ा है। करेंसी न होने के कारण कोई खरीददार नहीं।
उन्होंने बताया कि बैंक खाता धारकों को सप्ताह में 20 हजार रुपये तक निकालने की लिमिट होने से एक ट्रक गिट्टी की कीमत भी पूरी नहीं होती। करीब 40 टन वजन गिट्टी से भरा ट्रक 25 हजार रुपये से भी अधिक का होता है। इस मंडी से एक सप्ताह पहले तक हर रोज करीब डेढ़ हजार ट्रक गिट्टी की बिक्री होती थी। पिछले पांच दिनों से क्रेशरों में बोहनी भी नहीं हुई।
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अभी आपके काम आएंगे 500 और 1000 के पुराने नोट
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