भारत बंद का समर्थन: मायावती की राजनीतिक विवशता या दलितों के लिए चिन्ता

Edited By Ajay kumar,Updated: 04 Apr, 2018 08:49 PM

support of india shutdown mayawati s political complexity or concern for dalits

इसे राजनीतिक विवशता कहें या फिर दलितों के लिए चिन्ता, बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित संगठनों के आह्वान पर सोमवार को हुए भारत बंद का समर्थन किया।

लखनऊ: इसे राजनीतिक विवशता कहें या फिर दलितों के लिए चिन्ता, बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित संगठनों के आह्वान पर सोमवार को हुए भारत बंद का समर्थन किया। हालांकि, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस कानून के दुरूपयोग को रोकने की पहल की थी।  उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के जरिए एससी-एसटी कानून को कथित तौर पर कमजोर किये जाने के विरोध में यह बंद आहूत हुआ। 

मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तब उन्होंने खुद ही इस कानून के दुरूपयोग या निर्दोषों को झूठा फंसाने से बचाव की पहल की थी। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि वह बंद का समर्थन करती हैं। हालांकि, उन्होंने ङ्क्षहसा की निन्दा की और इसके लिए असामाजिक तत्वों को दोषी ठहराया। विभिन्न दलित संगठनों ने शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ विरोध प्रकट करने के लिए बंद का आह्वान किया था।  

उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को कानून में अग्रिम जमानत का प्रावधान जोडा और निर्देश दिया कि एससी-एसटी कानून के तहत दायर किसी शिकायत पर स्वत: ही गिरफ्तारी नहीं होगी। मायावती ने 2007 में मुख्यमंत्री रहते हालांकि दो आदेश जारी किये थे जो इस कानून के दुरूपयोग या किसी निर्दोष को झूठा फंसाने के खिलाफ बचाव से संबंधित थे।  

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव प्रशांत कुमार की ओर से 29 अक्तूबर 2007 को जारी दूसरे आदेश में कहा गया था कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों पर संज्ञान लें और प्राथमिकता के आधार पर जांच करायें। वह सुनिश्चित करें कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों पर अत्याचार के मामलों में त्वरित न्याय मिले। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि किसी निर्दोष का उत्पीडऩ ना होने पाये।  

आदेश में कहा गया कि अगर जांच में पाया गया कि कोई फर्जी मामला बनाया गया है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।  तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से जारी दोनों आदेशों में स्पष्ट कहा गया था कि केवल शिकायत के आधार पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए लेकिन जब आरंभिक जांच में आरोपी प्रथम ²ष्टया दोषी नजर आये तो ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए। 

पूर्व मुख्य सचिव शंभू नाथ ने 20 मई 2007 को एक आदेश जारी किया था जिसमें 18वें बिन्दु में उक्त कानून के तहत पुलिस शिकायतों के मुद्दे पर विस्तार से विवरण था। यह आदेश मायावती के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ समय बाद ही जारी किया गया था।  आदेश में साफ कहा गया था कि हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध ही उक्त कानून के तहत दर्ज किये जायें। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों से संबद्ध कम गंभीर अपराध आईपीसी की संबद्ध धाराओं के तहत लिये जायें।  आदेश के मुताबिक एससी—एसटी एक्ट में बलात्कार की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई तभी शुरू करनी चाहिए जब मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाए और प्रथम ²ष्टया आरोप सही लगें।

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