दूधनाथ सिंह की क्लास में दौड़े चले आते थे हॉस्टल के छात्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 07:34 PM

students of hostels used to run in the class of milk nath singh

हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कथाकार, कवि और आलोचक दूधनाथ सिंह का लंबी बीमारी के बाद 11 जनवरी की देर रात निधन हो गया है। उन्होंने अपने पैतृक शहर इलाहाबाद में देर रात 12 बजे के करीब आखिरी सांस ली। पिछले कई दिनों से वह इलाहाबाद के फीनिक्स हॉस्पिटल में भर्ती...

इलाहाबाद: हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कथाकार, कवि और आलोचक दूधनाथ सिंह का लंबी बीमारी के बाद 11 जनवरी की देर रात निधन हो गया है। उन्होंने अपने पैतृक शहर इलाहाबाद में देर रात 12 बजे के करीब आखिरी सांस ली। पिछले कई दिनों से वह इलाहाबाद के फीनिक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे। 

‘‘हास्टल से छात्र प्रोफेसर दूधनाथ सिंह की कक्षा में दौड़कर शामिल होते थे। जरुरी नहीं था कि छात्र उन्हीं की कक्षा के ही हों। दूसरी कक्षाओं के छात्र भी उनका लेक्चर सुनने आ जाते थे। कक्षा खचाखच भरी रहती थी लेकिन प्रोफेसर सिंह किसी भी छात्र या छात्राओं को बाहर जाने के लिए नहीं कहते थे।’

दूधनाथ सिंह साहित्यकार के साथ-साथ सफल शिक्षक थे। उनके लेक्चर के प्रस्तुतिकरण में इतना आकर्षण रहता था कि छात्र मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक उन्होंने छात्रों को अपने से बांधे रखा। जनवादी लेखक संघ के महासचिव और लखनऊ के कान्यकुम्ज महाविद्यालय(केकेसी) के हिन्दी विभागाध्यक्ष नलिन रंजन सिंह का कहना है, ‘मैंने उनसे लोकप्रिय शिक्षक नहीं देखा। गोदान या निराला को पढ़ाते समय थियेटर खचाखच भर जाता था। छात्र-छात्राओं के हुजूम को पढ़ाते वक्त वह एकाग्रचित्त रहते थे। वह कभी वैचारिक विचलन के शिकार नहीं हुए।’

दूधनाथ सिंह ने कहा कि वह अड़यिल लेकिन विनम्र थे। वह बिना हिचक के किसी को भी टोक देते थे। गलती पर बोल देते थे। उन्हीं से मैंने कहानी की आलोचना का ‘क’ सीखा। उन्हें साठोत्तरी पीढ़ी का सबसे प्रतिभाशाली साहित्यकार और रचनाकार कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह साहित्य की सातों विधाओं कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता, आलोचना, संस्मरण और सम्पादन में रचना की।

उनकी कई किताबों पर रिसर्च किये जा रहे हैं। साम्प्रदायिकता पर लिखा उनका उपन्यास आखिरी कलाम चर्चित रहा। यमगाथा नाटक पर उन्हें भारतेन्दु पुरस्कार मिला। निराला आत्महन्ता, और आस्था उनकी सर्वश्रेष्ठ पुस्तक मानी जाती है। उनकी पक्षधर पत्रिका शासकवर्ग को सोचने पर मजबूर करती है। इस पत्रिका में उनकी धारदार कलम अविस्मरणीय रही। इसी वजह से आपातकाल में पत्रिका जब्त कर ली गयी थी। दूधनाथ सिंह कहते हैं कि उनके बारे में जितना लिखा जाये कम है। वह शारीरिक रुप से भले दुनिया से चले गये हों लेकिन उनके विचार हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!