RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान-तुरंत हो राम मंदिर का निर्माण शुरू

Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Feb, 2019 04:21 PM

rss chief mohan bhagwat immediately start building ram temple

प्रयागराज: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या मसले में केन्द्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संत समाज और हिन्दू संगठनो को जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर से कम कुछ भी स्वीकार्य नही है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की दो...

प्रयागराज: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या मसले में केन्द्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संत समाज और हिन्दू संगठनो को जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर से कम कुछ भी स्वीकार्य नही है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की दो दिवसीय धर्म संसद के दूसरे और अंतिम दिन शुक्रवार को भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि परम वैभव हिन्दू राष्ट्र भारत को खड़ा करने के लिए अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण नितांत जरूरी है। वर्ष 1990 में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) और शिवसेना ने मंदिर निर्माण के आंदोलन की शुरूआत की थी जिसका परिणाम जल्द ही देश के सामने आएगा।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन इस मामले में केन्द्र सरकार का रवैया अब तक अनुकूल रहा है। इस दिशा में संत समाज और हिन्दूवादी संगठनों को संयम का परिचय देने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में राम मंदिर का समर्थन करने वाले कई लोग हैं। मर्यादा पुरूषोत्तम के भक्त होने के नाते उन्हे कानून और नियमो का पालन करना है। सरकार राम मंदिर निर्माण में साथ देगी तो उसे राम का आर्शीवाद भी मिलेगा।  संघ प्रमुख ने कहा ‘‘ संत समाज और हिन्दू संगठनो को अयोध्या में जन्मभूमि स्थल पर भव्य राम मंदिर से कम कुछ भी स्वीकार्य नही है। हम रामजन्म भूमि की एक भी इंच जमीन नहीं देंगे। केन्द्र की मौजूदा सरकार ने इस दिशा में सही पहल की है। उसने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर गैर विवादित जमीन को उनके स्वामी को सौंपे जाने को कहा है। इससे मंदिर के गर्भगृह में जाने का रास्ता सुगम हो सकेगा। 

भागवत ने कहा कि संघ निराश नही है। अदालत की कार्यवाही अंतिम छोर पर है। इस दिशा में निर्णय कभी भी आ सकता है। हिन्दू समाज को सोच समझ कर कदम उठाने पडेगे। जनता में प्रार्थना,आवेश और आक्रोश जगाने की जरूरत है। हिन्दू अपना आक्रोश सीने में दबा कर बैठा है जो समय की मांग भी है।  उन्होंने कहा कि विहिप और संत समाज मंदिर निर्माण के लिए आंदोलनरत है। हमे यह जागरण करते रहना चाहिए। इस सिलसिले में छह अप्रैल से एक करोड़ विजय मंत्र का जाप किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग के खनन में यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि विवादित ढांचे के नीचे भव्य मंदिर था। हिन्दू समाज को कतई शक नहीं है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला उनके ही पक्ष में आयेगा। इसके लिये चार छह महीनों तक न्यायालय के निर्णय का इंतजार और किया जा सकता है। इसके बाद भी यदि निर्णय नहीं हुआ तो संतों को भावी रणनीति पर विचार करना होगा।

उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख बाला साहब ने कहा था कि सिर्फ कारसेवा से मंदिर नही बनने वाला नही है। इसके लिए शांतिपूर्ण आंदोलन करना होगा जिसमें 20-30 साल का समय भी लग सकता है। वर्ष 1990 में उनके दिए गए वक्तव्य को 30 साल पूरे होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक दलों में कौन मंदिर निर्माण के लिए गंभीर है। इसे देखने की जरूरत है। दलों को सोचना होगा कि वे मंदिर केवल वोटरों को खुश करने के लिए नहीं बनायेंगे बल्कि इसके पीछे परम हिन्दू राष्ट्र भारत की परिकल्पना शामिल है। भव्य राम मंदिर के लिए सकरात्मक सोच की जरूरत है। इसमे निराशा का कोई स्थान नहीं है।

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