मुलायम ‘सेक्युलर मोर्चा’ बनाने की राह पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Sep, 2017 03:30 PM

on the way to making a mulayam   secular front

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपने पुराने संगठन....

लखनऊ: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपने पुराने संगठन लोकदल के बैनर तले एक ‘सेक्युलर मोर्चा’ बना सकते हैं। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने यह दावा किया है। सपा के कल होने वाले प्रान्तीय अधिवेशन से पहले पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुखालिफ शिवपाल धड़े की सक्रियता बढ़ गई है। वहीं मुलायम की अध्यक्षता वाले लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से अखिलेश के प्रमुख सलाहकार रामगोपाल यादव को हटा दिया गया। साथ ही मुलायम के आगामी 25 सितम्बर को प्रेस कांफ्रेंस करने के शिवपाल के एेलान के बाद ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि अब मुलायम और शिवपाल सपा छोड़कर अलग रास्ता अपनाएंगे।

शिवपाल काफी पहले से ही मुलायम की अगुवाई में ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ के गठन की बात कह रहे हैं लेकिन यह अभी तक वजूद में नहीं आया है।  इस बीच, लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने बातचीत में दावा किया कि मुलायम और शिवपाल उनके साथ होंगे और मिलकर एक सेक्युलर मोर्चा बनाएंगे। सोमवार को होने वाली मुलायम की प्रेस कांफ्रेंस में वह भी उनके साथ मौजूद रहेंगे। मालूम हो कि मुलायम कभी लोकदल के भी संस्थापक सदस्य थे। सिंह ने कहा कि उन्होंने शिवपाल से बात की है और शुरुआत में यह प्रयास होगा कि सेक्युलर मोर्चे का गठन लोकदल के बैनर तले हो।

सिंह का यह दावा शिवपाल के उस बयान की रोशनी में अहमियत रखता है, जिसमें उन्होंने गत जून में ‘साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिए’ समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित करने का इरादा जताया था।  शिवपाल के एक करीबी नेता ने बताया कि चूंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश और शिवपाल खेमों के बीच सुलह-समझौते की गुंजाइश अब बाकी नहीं दिख रही है, लिहाजा शिवपाल को अपने भविष्य के बारे में फैसला करना ही होगा और सेक्युलर मोर्चा अब बनकर रहेगा।

हालांकि उन्होंने यह भी संभावना जताई कि अगर मुलायम ऐन वक्त पर अपनी प्रेस कांफ्रेंस का कार्यक्रम निरस्त कर दें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। चुनाव आयोग के रिकार्ड के मुताबिक लोकदल एक पंजीकृत और गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह ने वर्ष 1980 में की थी और मुलायम उसके संस्थापक सदस्य थे। प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त जब सपा में अन्तर्कलह चरम पर थी और मुलायम ने खुद को पार्टी के मामलों से लगभग अलग कर लिया था, उस वक्त भी उनके अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। उस समय भी लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने उनसे अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी।

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