Edited By ,Updated: 20 Apr, 2017 02:03 PM
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा)की अध्यक्ष मायावती ने पार्टी को फिर से संगठित करने के लिए बड़ा फेरबदल किया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा)की अध्यक्ष मायावती ने पार्टी को फिर से संगठित करने के लिए बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी ने सभी नगरीय निकाय चुनाव लडऩे की मंशा छोड़ दिया था लेकिन अब यू टर्न लेते हुए उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव लडऩे के निर्णय के साथ 2019 के लोकसभा चुनावों में धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है।
मायावती ने 14 अप्रैल को घोषणा की थी कि वह भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए महागठबंधन में शामिल हो सकती हैं, लेकिन अब उन्होंने अपनी घोषणा से पीछे हटते हुए दावा किया है कि पार्टी को गठबंधन से हमेशा नुकसान हुआ है।
मायावती ने विभिन्न जातियों और समुदायों जैसे ब्राह्मण, ठाकुर और मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए बनाई गयी मण्डलीय, प्रभागीय और जिला समन्वयक के साथ-साथ बसपा के ट्रेडमार्क ‘भाईचारा’ समितियों को कल रात भंग कर पार्टी को संगठित करने के लिए बड़ा फेर बदल किया है।
एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने आज यहां कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रभारी पार्टी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दिकी को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। मायावती ने सूबे में पार्टी के आधार को व्यापक बनाने के लिए दलित, अति पिछड़े और मुस्लिम समुदाय से बसपा कार्यकर्ताओं की दो टीमें गठित की हैं। टीम नौ मण्डलों में पार्टी की गतिविधियों की देखरेख करेगी।
एक टीम में सांसद अशोक सिद्धार्थ, विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील चित्तौड़ और नौशाद अली जैसे पार्टी के नेताओं को शामिल होंगे जबकि दूसरी टीम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, सांसद मुंजाद अली और विधायक लालजी वर्मा को नेतृत्व के लिए रखा जाएगा। बसपा के पूर्व विधायक नकुल दुबे और पूर्व एमएलसी अनंत मिश्रा को महापौरों के चुनाव के लिए क्रमश: लखनऊ और कानपुर का प्रभार सौंपा गया है।