Edited By Ruby,Updated: 03 Jun, 2019 03:49 PM
लखनऊः बसपा अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई। बैठक में मायावती ने लोकसभा के नतीजों पर नाराजगी जताई। उन्हों
लखनऊः बसपा अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई। बैठक में मायावती ने लोकसभा के नतीजों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं हुआ । इसके साथ ही मायावती ने उपचुनाव में अकेले ही मैदान में उतरने का फैसला किया है। जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि सपा-बसपा गठबंधन अब कुछ ही दिन या कुछ ही घंटों का रह गया है।
बीएसपी की बैठक में हार की समीक्षा के दौरान मायावती ने अपने जोनल को-ऑर्डिनेटरों से हर सीट का हिसाब लिया। हारने वाली सीटों की जानकारी लेते हुए मायावती ने कहा कि"गठबंधन हमने काफी सोच समझ कर किया था। हम अपने नफे नुकसान को जानते थे, लेकिन इस गठबंधन से हमें कोई फायदा नहीं हुआ। यादव वोट हमको ट्रांसफर नही हुए। यदि वोट मिलते तो यादव परिवार के अपने नहीं हारते। सपा के लोगों ने गठबंधन के खिलाफ़ काम किया। मुसलमानों ने हमारा पूरा साथ दिया है और हम आने वाले उपचुनाव की सभी 11 सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
जानकारों की मानें तो उपचुनाव लड़ने का फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि बसपा के इतहास के देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती। 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन किया था। इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना, लेकिन परिणाम मनमाफिक नहीं आए। अब अगर मायावती अकेले चुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजमी है।