UP निकाय चुनावः तीसरे चरण का मतदान सम्पन्न, करीब 53 फीसद मतदान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 06:29 PM

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के अंतिम और तीसरे चरण के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच प्रदेश के 26 जिलों में मतदान सुबह साढ़े 7 बजे से शुरु हो गया है। तीसरे और अंतिम चरण में निकाय चुनाव के लिए मतदान कड़ी सुरक्षा के बीच पूर्व के 2 चरणों की तरह....

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में 26 जिलों में आज छुटपुट घटनाओं के बीच करीब 53 फीसद मतदान पड़ा। तीनों चरणों में औसतन कुल 52.50 प्रतिशत मतदान हुआ।   

राज्य निर्वाचन आयुक्त एस. के. अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं को बताया कि अंतिम चरण में 26 जिलों में पांच नगर निगमों, 76 नगर पालिका परिषदों तथा 152 नगर पंचायतों के विभिन्न पदों के लिये करीब 53 प्रतिशत मत पड़े। तीनों चरणों को समग्र रूप से देखें तो औसतन लगभग 52.50 प्रतिशत हुआ। वर्ष 2012 में 46.2 फीसद मतदान हुआ था।  

उन्होंने बताया कि सबसे कम मत प्रतिशत नगर निगम क्षेत्रों में है। नगर निगम में औसतन 41.26 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं नगर पालिकाओं में 58.15 फीसद और नगर पंचायतों में 68.30 प्रतिशत हुआ है। सबसे कम इलाहाबाद में 30.47 प्रतिशत मत पड़े।  इस चरण में सहारनपुर, बागपत, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, सम्भल, बरेली, एटा, फिरोजाबाद, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, झांसी, महोबा, फतेहपुर, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर, मऊ, चंदौली, जौनपुर तथा मिर्जापुर में मतदान हुआ। 

अग्रवाल ने बताया कि इस बार नगरीय निकाय चुनावों में कुल 36273 मतदान केंद्र बनाये गये और सिर्फ तीन में पुनर्मतदान की आवश्यकता पड़ी। वहीं, वर्ष 2012 में 33797 मतदान केंद्र में से 17 पर पुनर्मतदान हुआ था। इस दफा चुनाव ड्यूटी के दौरान एक भी मतदानकर्मी की मृत्यु नहीं हुई। 

मतदान के दौरान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर हुई शिकायतों का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने कहा कि आयोग ने इस बार निकाय चुनाव में 32374 ईवीएम लगायी थीं। मानक के अनुसार दो प्रतिशत तक ईवीएम बदलना सामान्य बात है। इस दफा 503 ईवीएम विभिन्न कारणों से बदली गयीं। यह केवल 0.7 प्रतिशत है। इन 503 में से लखनऊ में ही 250 ईवीएम बदली गयी हैं। बहरहाल, ईवीएम को लेकर जो माहौल बनाया गया है, वह सही नहीं है। इसे बेवजह तूल दिया गया है।  

मतदाता सूची में गड़बड़ी के सवाल पर निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग ने निर्णय लिया था कि जिन मतदाताओं ने वर्ष 2015 के पंचायत चुनावों में वोट डाला था, उनका नाम नगरीय निकायों की मतदाता सूची से काट दिया जाएगा। मगर किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से काटा जाना अपराध है। 
 

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