भूतप्रेत से घबराई त्रिवेंद्र सरकारः हड्डियां और नरमुंड मिलने पर ISBT हल्द्वानी प्रोजेक्ट रद्द

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jan, 2018 02:59 PM

isbt haldwani project canceled after threat of ghosts

भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेनामी सम्पत्ति पर कितनी लगाम कस लें पर उत्तराखंड में कांग्रेस से आए कुछ नेताओं के सिर पर जमीन जायदाद के धंधे का भूत कुछ इस कदर हावी है कि कुमाऊं में जिस जमीन पर बसअड्डा बनना था, अब वहां भूतप्रेत का वास बताया जा रहा...

देहरादून/ ब्यूरो। भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेनामी सम्पत्ति पर कितनी लगाम कस लें पर उत्तराखंड में कांग्रेस से आए कुछ नेताओं के सिर पर जमीन जायदाद के धंधे का भूत कुछ इस कदर हावी है कि कुमाऊं में जिस जमीन पर बसअड्डा बनना था, अब वहां भूतप्रेत का वास बताया जा रहा है।

 

जी हां, ये मामला हल्द्वानी का है। राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में जमीनों के दाम कैसे बढ़े, यह बताने की जरूरत नहीं। इसी के साथ-साथ तमाम राजनेता बिल्डर और कॉलोनी काटने वाले भूमाफिया भी बन गए। अगर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के जमीन से जुड़े धंधों की उत्तराखंड में जांच हो तो मुख्यमंत्रियों से लेकर पार्टी के पदाधिकारियों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सरकारी कर्मचारियों, पुलिस अधिकारियों, मीडियाकर्मियों और अपराधियों के ऐसे कई गिरोह के चेहरों से नकाब उतर जाएगा, जो जमीन को लेकर कुछ भी करने को तैयार हैं। 

 

ताजा मामला हल्द्वानी में गौलापार हल्द्वानी में प्रस्तावित इंटरस्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) के निर्माणाधीन कार्यस्थल पर निर्माण पर रोक लगाने का है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में गौला नदी के पार पडऩे वाली इस जमीन पर निर्माणकार्य शुरू हो चुका था।

 

सत्ता बदली कुछ लोगों ने दल भी बदले और गौलापार की फिजा बदलने लगी। जमीन इतनी महंगी हो गई कि अब यह आईएसबीटी भूमाफिया की आंखों में खटकने लगा। नेता विपक्ष इन्दिरा हृदयेश का आरोप है कि पूर्व में कांग्रेस के एक नेता, जो अब भाजपा में हैं, उन्होंने राजनीतिक साजिशन यह प्रोजेक्ट रूकवाया है। इसके लिए कोई न कोई कारण तो ढूंढ़ा जाना था। कारण भी मिल गया, अचानक यह अफवाह फैला दी गई कि कार्यस्थल पर मानव हड्डियां निकल रही हैं। 

 

प्रोजेक्ट पर रोक लगते ही कांग्रेसियों में हलचल मच गई। लगभग 80 बीघा जमीन पर 76 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए हरीश रावत सरकार ने दो करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। नागार्जुन वह कार्यदायी संस्था है, जिसने निर्माण कार्य शुरू किया था। विधानसभा में विपक्ष की नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी इन्दिरा हृदयेश का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था।

 

उन्होंने राज्य की वित्तमंत्री होते हुए इस प्रोजेक्ट के लिए बजट आवंटित कराया था। रोक लगते ही इन्दिरा हृदयेश के तेवर तल्ख हो गए। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को रोके जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत की सरकार को घेरना शुरू कर दिया।  इन्दिरा हृदयेश का कहना है कि उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट का काम कांग्रेस से भाजपा में गए एक नेता ने रूकवाया है। 

 

इन्दिरा हृदयेश भाजपा और प्रदेश सरकार को भूतप्रेत और तंत्रमंत्र पर विश्वास रखकर ऐसे प्रोजेक्ट को टलवाने के लिए अंधविश्वास को बढ़ाने वाली पार्टी और सरकार बता रही हैं। उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ङ्क्षसह रावत का कहना है कि आईएसबीटी का निर्माण गौला नदी की जगह हल्द्वानी में ही किसी दूसरी जगह कराया जाएगा। सरकार ने जमीन तलाश भी ली है। जल्द ही भूमि हस्तांतरण के बाद शिलान्यास भी कर दिया जाएगा।  इन्दिरा हृदयेश ने इस मुद्दे को लेकर 30 जनवरी से भूख हड़ताल की घोषणा की है। आने वाले दिनों में आईएसबीटी हल्द्वानी की प्रेतबाधा भाजपा सरकार और पार्टी संगठन के सिर पर चढ़कर बोले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 

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