योगी सरकार को मानवाधिकार आयोग ने थमाया नोटिस

Edited By ,Updated: 06 May, 2017 12:35 PM

human rights commission sent notice to yogi sarkar

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के अस्पताल द्वारा एंबुलेंस की सेवा देने से कथित तौर पर इनकार के चलते अपने किशोर बेटे का शव कंधे पर लाद कर ले जाने को मजबूर हुए एक मजदूर का मामला सामने आने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी...

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के अस्पताल द्वारा एंबुलेंस की सेवा देने से कथित तौर पर इनकार के चलते अपने किशोर बेटे का शव कंधे पर लाद कर ले जाने को मजबूर हुए एक मजदूर का मामला सामने आने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

राज्य के मुख्य सचिव को जारी किया नोटिस 
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि उसने मीडिया में आई खबरों का स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। आयोग ने पाया है कि मीडिया में आई खबरों में दी गई जानकारी ‘दर्दनाक है और अस्पताल के डॉक्टरों के असंवेदनशील एवं लापरवाही भरे रवैये’ को दिखाती है। जबकि अस्पताल में आने वाले अधिकतर लोग गरीब परिवारों से हैं। 

चार सप्ताह के अंदर मांगी विस्तृत रिपोर्ट 
आयोग ने मुख्य सचिव से चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें सरकारी अस्पतालों द्वारा दी जाने वाली एंबुलेंस सेवाओं पर भी जानकारी मांगी गई है। हाल ही में सोशल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर वायरल हुई वीडियो में 45 वर्षीय मजदूर उदयवीर ने आरोप लगाया कि इटावा के सरकारी अस्पताल ने उसके बेटे पुष्पेंद्र का इलाज नहीं किया और उसे लौटा दिया। एक मई को अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मदद से कथित तौर पर इनकार कर दिए जाने पर उसे अपने 15 वर्षीय बेटे का शव अपने कंधे पर लादकर ले जाने के लिए विवश होना पड़ा। 
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मृत बेटे के शव को कंधे पर डालकर लेकर गया पिता
रिपोर्ट पर गौर करते हुए आयोग ने कहा, ‘‘अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत बेटे के पिता को न तो एंबुलेंस सेवा देने की पेशकश की और न ही उसे उसके बेटे का शव घर ले जाने के लिए दी जाने वाली सुविधा के बारे में सूचित किया।’’ आयोग ने कहा, ‘‘इसका नतीजा यह हुआ कि वह अपने बेटे का शव अपने कंधे पर डाल कर लेकर गया। एेसा बताया जाता है कि डॉक्टरों ने कुछ ही मिनट के लिए 15 वर्षीय मरीज को देखा और फिर उसके पिता से कह दिया कि वह उसे वापस ले जाए क्योंकि उसके शरीर में जान नहीं है।’’ 

घटना मानवाधिकारों का उल्लंघन 
आयोग ने कहा कि यह घटना मानवाधिकारों का उल्लंघन है। एनएचआरसी ने यह भी कहा कि इटावा के मुय चिकित्सा अधिकारी राजीव यादव ने कथित तौर पर यह स्वीकार कर लिया है कि ‘‘गलती उनकी आेर से थी’’। उन्होंने आश्वासन दिया है कि दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने कहा, ‘‘यादव ने यह भी कहा है कि लड़के को मृत हालत में अस्पताल लाया गया था और उस समय डॉक्टर बस दुर्घटना के एक मामले में व्यस्त थे। एेसे में वे मृत के पिता से नहीं पूछ पाए कि क्या उसे कोई वाहन चाहिए?’’ 

अस्पताल में उपलब्ध एंबुलेंस के बारे में मांगी जानकारी 
आयोग ने अस्पताल में उपलब्ध एंबुलेंस वाहनों और चालकों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है। आयोग ने यह भी पूछा है कि किसी मरीज या शव को ले जाने के लिए उपलब्ध एंबुलेंस सेवा की जानकारी क्या एेसी जगह पर लगाई गई है, जहां सबकी नजर पड़ सके? इसके अलावा आयोग ने इस सेवा को हासिल करने के लिए जरूरी औपचारिकताओं की जानकारी मांगी है। बीते अगस्त में आेडिशा के दाना माझी को आेडिशा में अस्पताल प्रशासन की आेर से मदद से इनकार कर दिया गया था, जिसके चलते उसे कालाहांडी जिले में 10 किमी दूर स्थित अपने गांव तक अपनी पत्नी का शव कंधे पर लाद कर ले जाना पड़ा था। माझी की ये तस्वीरें देखकर पूरा देश स्तब्ध रह गया था। उसके बाद से एेसी घटनाएं सामने आने लगी हैं। 

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