CM योगी को भरोसा: एक फीसदी अधिक मतदान से BJP को 10 हजार वोटों का फायदा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Mar, 2018 08:30 PM

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गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में विेरोधी मतों के ध्रुवीकरण की चुनौती से परेशान भाजपा की निगाहें गोरखपुर शहर विधानसभा पर टिक गई है। गोरखपुर लोकसभा के पांच विधानसभा सीटों में से गोरखपुर शहर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां से बीजेपी को हर चुनाव में बड़ी बढ़त...

गोरखपुर: गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में विेरोधी मतों के ध्रुवीकरण की चुनौती से परेशान भाजपा की निगाहें गोरखपुर शहर विधानसभा पर टिक गई है। गोरखपुर लोकसभा के पांच विधानसभा सीटों में से गोरखपुर शहर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां से बीजेपी को हर चुनाव में बड़ी बढ़त मिलती रही है। इस बढ़त को निर्णायक बनाने का प्रयास बीजेपी के रणनीतिकार कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार शाम टाउनहाल की सभा में इस रणनीति का संकेत दिया। उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं से शहर विधानसभा में मत प्रतिशत बढाने का आह्वान किया और कहा कि यदि शहर विधानसभा क्षेत्र में यदि 60 फीसदी मतदान प्रतिशत हुआ तो यहां से बीजेपी को ढाई लाख की लीड मिल जाएगी। इसके पहले पांच मार्च को राप्तीनगर की सभा में भी योगी आदित्यनाथ ने यही बात कही थी।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शहर विधानसभा में मतदान यदि एक प्रतिशत अधिक होने का मतलब है कि बीजेपी को दस हजार वोटों की बढ़त होगी। योगी आदित्यनाथ यह कहना चाहते थे कि यदि शहरी विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी गया तो यह बढ़त ढाई लाख की हो जाएगी और दूसरे विधानसभा क्षेत्रों मे यदि विरोधी अधिक मत पा भी जाते हैं तो उनके लिए इस लीड को पाटना असंभव हो जाएगा।

आंकड़ों की कसौटी पर योगी आदित्यनाथ की बातें एकदम सही है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखें तो गोरखपुर शहर विधानसभा सीट ही बीजेपी का अभेद्य किला है। वर्ष 1999 में भी जब योगी 7339 मतों के मामूली अंतर से जीते थे तब शहर विधानसभा की लीड ने ही उन्हें जीत का अवसर प्रदान किया था।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र की सभी पांच सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। इस लोकसभा क्षेत्र की गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की सीट से भाजपा प्रत्याशी 4410 मत से विजयी हुआ। सहजनवां में 15377, पिपराइच में 12809, कैम्पियरगंज में 32854 मतों से भाजपा प्रत्याशी की विजय हुई। गोरखपुर शहर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी 60370 मतों से जीते। सभी पांच विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक अंतर से यहीं पर भाजपा की जीत हुई।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को सबसे अधिक मत गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से ही मिला था। उन्हें 133892 मत मिले थे और और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी से 1,02,837 मत से बढत बनाई थी। शेष चार विधानसभाओं में से कैम्पियरगंज से उन्हें 42041, पिपराइच से 77479, गोरखपुर ग्रामीण से 43670 तथा सहजनवां से 46354 मतों की बढ़त मिली थी।

वर्ष 2009 में योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर सीट से 52086 मत की बढ़त मिली थी।सहजनवां से 28819, कैम्पियरगंज से 41184, पिपराइच से 59065 और गोरखपुर ग्रामीण से 42106 मत की बढ़त मिली थी।

इस तरह से गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को हमेशा बड़ी बढ़त मिलती रही है जबकि यहां मतदान प्रतिशत कम होता रहा है। इसलिए इस चुनाव में विरोधी मतों के ध्रुवीकरण के कारण भाजपा को सहजनवां, गोरखपुर ग्रामीण, कैम्पियरगंज और पिपराइच से बहुत ज्यादा बढ़त मिलने की उम्मीद नहीं की जा रही है। इन चारों विधानसभाओं में निषाद वोटों की बहुलता भी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा दोनों ने निषाद प्रत्याशी खड़ा किया था। तब निषाद पाार्टी भी अस्तित्व में नहीं आई थी। इस कारण निषाद मत बंटे थे। इस बार ऐसा होता प्रतीत नहीं हो रहा है।

भाजपा के लिए दूसरी बड़ी चिंता का विषय है कि वर्ष 2017 में बड़ी लहर होने के बावजूद पांचों विधानसभा में उसे कुल मिलाकर 125820 की बढत हासिल हुई जो 2014 के लोकसभा में 312783 मत की बढत मिली थी। बढत के आधे से कम हो गई, वह भी तब विपक्षी चार तरफ से विभाजित थे। इस बार स्थिति उलट है।

वर्ष 2017 के लोकसभा चुनाव में 54.67 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 48.80 फीसद ही मतदान हुआ थे। अन्य चार विधानासभाओं में पिपराइच में 59.26, कैम्पियरगंज में 54.67, गोरखपुर ग्रामीण में 53.98 और सहजनवां में 54.75 फीसद मतदान हुआ था।

इसलिए भाजपा अपने सबसे मजबूत किले शहर विधानसभा में अधिक मतदान और अधिक बढ़त की रणनीति पर चल रही है ताकि वह यहां से निर्णायक बढ़त बना सके। इसके लिए उसे पिछले चुनाव के मुकाबले शहर विधानसभा में 12 फीसद अधिक मतदान कराना होगा। शहरी विधानसभा की जनसंख्या रचना में सवर्ण मतों की बहुतायत है और वे भाजपा के परम्परागत मत हैं। ब्राह्मण उम्मीदवार देने से ब्राह्मण मतों को भी भाजपा अपने पक्ष में आता देख रही है।

परिसीमन के बाद यहां के अल्पसंख्यक मतदाताओं का बड़ा हिस्सा गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में चला गया। इसलिए यहां विपक्ष कमजोर है और शहरी मतों को अपने पक्ष में करने का वह अब तक कोई ठोस उपाय नहीं कर पाया है।

देखना है कि भाजपा को अपनी इस रणनीति में कितनी कामयाबी मिल पाती है। जो भी है शहरी मतों का रूझान इस बार भी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

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