अलविदा 2019: पूरे साल चर्चा में रहीं यूपी की ये 10 नेत्रियां

Edited By Ajay kumar,Updated: 25 Dec, 2019 01:08 PM

goodbye 2019 these female women of up were in discussion all year

2019 की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत देश के कई नेता पूरे वर्ष सुर्खियों में बने रहे। कोई भी दिन ऐसा नहीं बीता जिस दिन इन नेताओं पर चर्चाएं न हुई हों।

यूपी डेस्क (अजय कुमार): 2019 की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत देश के कई नेता पूरे वर्ष सुर्खियों में बने रहे। कोई भी दिन ऐसा नहीं बीता जिस दिन इन नेताओं पर चर्चाएं न हुई हों। इन सबके बीच जो हमेशा से राजनीतिक रूप से चर्चा में रहा वह देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश है। यहां की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई अन्य महिला नेत्रियां हैं जो इस वर्ष राजनीति में खूब चर्चा में रहीं। 

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1. स्मृति ईरानी: टीवी सीरियल की तरह राजनीति में भी स्मृति ईरानी हमेशा से चर्चा में रहीं हैं। स्मृति हारें या जीतें मीडिया की सुर्खियों में जरूर रहती हैं। इस वर्ष भी वह राजनीति में अपना जलवा कायम रखीं। बीजेपी नेत्री ने लोकसभा चुनाव में देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार अमेठी से न केवल दोबारा चुनाव लड़ा बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराया भी। गांधी के अमेठी किले को भेदकर स्मृति ने साबित कर दिया कि वह ऐसे नहीं राजनीति में आई हैं। एक अन्य मुुे पर स्मृति ने न केवल लोकसभा की महिला स्पीकर रमादेवी पर बेतुकी टिप्पणी करने पर आजम खान को आड़े हाथों लिया बल्कि उन्हें माफी मांगने पर भी विवश किया। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मुखर रहने वाली स्मृति ईरानी ने रेप आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर और पूर्व गृहमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर चुप्पी साधकर हर किसी को हैरान कर दिया। इन बीजेपी नेताओं पर कुछ न बोलने की वजह से भी स्मृति ईरानी सुर्खियों में बनी रहीं। 
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2. मायावती: बसपा सुप्रीमो मायावती भी राजनीति में हमेशा की तरह इस बार भी सुर्खियों में रहीं। लोकसभा चुनाव में 20 साल बाद मायावती ने अपनी चिर प्रतिद्वंदी पार्टी सपा से गठबंधन कर हर किसी को चौंका दिया। माया-अखिलेश गठबंधन के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि   ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम’ का नारा यूपी में फिर साकार होगा। लेकिन चुनाव नतीजों में इससे उलट रहा। बसपा 10 सीट जीतकर फायदे में रही लेकिन सपा को इसका कोई लाभ नहीं मिला। आखिरकार दोनों का गठबंधन टूट गया। बीजेपी की नीतियों का विरोध करने वाली मायावती ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने के बीजेपी के फैसले का स्वागत कर सबको चौंका दिया। वहीं सोसल मीडिया से दूर रहने वाली मायावती पहली बार ट्वीटर पर आईं तो कई दिनों तक मीडिया में सुर्खियों में बनी रहीं। अब सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर वह बीजेपी के फैसले के खिलाफ हैं और लगातार इसे हटाने की मांग कर रही हैं। 

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3. प्रियंका गांधी: लोकसभा चुनाव से सक्रिय राजनीति में आईं प्रियंका गांधी ने न केवल कांग्रेस का महासचिव पद संभाला बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चुनाव प्रचार भी किया। हालांकि उन्हें इसका खासा लाभ नहीं मिला। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली सीट को छोड़कर कांग्रेस सभी सीट हार गई। प्रियंका, राहुल गांधी की अमेठी सीट भी नहीं बचा पाईं जिसे जिताने की जिम्मेदारी उनके कंधे पर थी। हार के बाद भी प्रियंका जनता के मुुे को उठाती रहीं। सोनभद्र में आदिवासियों का नरसंहार का मामला हो या फिर उन्नाव रेप पीड़िता के पक्ष में खड़े होने का मामला प्रियंका डटकर खड़ी रहीं। अब सीएए और एनआरसी के मुद्दे को लेकर प्रियंका सरकार के फैसले के खिलाफ लड़ रही हैं। 
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4. हेमा मालिनी: बसंती के नाम से मशहूर बीजेपी सांसद हेमा मालिनी लोकसभा चुनाव के दौरान काफी चर्चा में रहीं। उनके चर्चा में रहने की एक मात्र वजह महिलाओं के साथ खेत में गेहूं काटना रहा है। जैसे ही हेमा मालिनी की गेहूं काटने की तस्वीर वायरल हुई वह सुर्खियों में छा गईं। सभी टीवी चैनलों ने उनके चुनाव प्रचार को दिखाया। ये बात और है कि लोगों ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया। अभी हाल ही में वह अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा में बंदरों के आतंक का मुद्दा उठाया है। इसके  लिए भी वह चर्चा में बनी रहीं।  
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5. सोनिया गांधी: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी वह अपना गढ़ रायबरेली बचाने में कामयाब रहीं। देश में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद फिर उन्हें कांग्रेस का पद संभालना पड़ा। सोनिया गांधी की ही अगुवाई में कांग्रेस पहले महाराष्ट्र और अब झारखंड में सरकार में हैं। अब वह देश में सीएए के खिलाफ न केवल केंद्र सरकार पर हमले कर रही हैं बल्कि इस कानून के खिलाफ राजघाट पर गांधी प्रतिमा के सामने सत्याग्रह कर रही हैं।
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6. जया प्रदा: अभिनेत्री जया प्रदा भी इस वर्ष खूब सुर्खियों में रहीं। लोकसभा चुनाव में सपा के दिग्गज नेता आजम खान के खिलाफ रामपुर सीट से चुनाव लड़ीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान आजम खान द्वारा उनके ऊपर की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर वह कई दिनों तक मीडिया में बनी रहीं।
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7. साध्वी प्राची: अपने विवादित बयानों को लेकर हिंदूवादी नेत्री साध्वी प्राची भी पूरे साल मीडिया की सुर्खियों में बनी रहीं। जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने का मामला हो या फिर राम मंदिर का मामला उसे वह पुरजोर तरीके से उठाती रहीं। मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या के खिलाफ भी वह अपने बयान देती रही हैं। अब वह देश में हो रही रेप की घटनाओं का ठीकरा गांधी-नेहरू खानदान पर फोड़ा है। हाल में दिए एक बयान में उन्होंने नेहरू को ही देश का सबसे बड़ा रेपिस्ट करार दे दिया। 
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8. अदिति सिंह: रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह भी इस साल सुर्खियों में रहीं। हाल ही गांधी जयंती के मौके पर योगी सरकार सारा बुलाए गए विशेष सत्र में पार्टी के खिलाफ जाकर भी वह राजनीति में चर्चा का केंद्र रहीं। पार्टी के खिलाफ फैसले को लेकर कांग्रेस ने उनकी विधायकी निरङएथ करने की मांग की है। अब वह अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में हैं। 
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9. डिंपल यादव: कन्नौज सीट से 2 बार सांसद रहने के बावजूद भी वह इस सीट से हार गईं। पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी होने की वजह से उनकी हार और भी महत्व रखती है। ये तब हुआ जब मायावती के चुनाव प्रचार के बाद भी वह अपनी सीट नहीं बचा सकीं। हार के अलावा उनकी चर्चाएं होने की एक और वजह मंच पर मायावती का पैन छूना रहा। इसपर भी लोगों ने उनपर तरह तरह की टिप्पणीं की। इस बीच आजम की खाली हुई रामपुर सीट पर उप चुनाव लडऩे की भी अटकलें लगती रहीं। 
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10.अनुप्रिया पटेल: अपना दल की मुखिया व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। लोकसभा में उठाए गए महिलाओं के खिलाफ मुद्दे हों या फिर देश के अन्य मामले उसपर वह अपनी राय रखती रहती हैं। हाल ही में वह संसद में आरक्षित वर्ग वाले छात्रों का नंबर सामान्य वर्ग के बराबर आने पर जनरल में नौकरी दिए जाने की मांग की है। 

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