फर्जी नर्सिंग होम ने ली गर्भवती महिला की जान, केस नार्मल बताकर ऐठें 30 हजार

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2017 06:36 PM

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योगीराज में एक ओर सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कवायद की जा रही है वहीं दूसरी ओर झोलाछाप डॉक्टरों को धड़ल्ले से इलाज करने की छूट भी देने का काम किया जा रहा है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

गाजीपुर(अनिल कुमार): योगीराज में एक ओर सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कवायद की जा रही है वहीं दूसरी ओर झोलाछाप डॉक्टरों को धड़ल्ले से इलाज करने की छूट भी देने का काम किया जा रहा है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

सदर कोतवाली क्षेत्र के रौजा इलाके में पिछले कई साल से चल रहे ओम सत्या अस्पताल में बिना डिग्री वाले डॉक्टर की लापरवाही से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। डॉक्टर और स्टाफ अपनी गर्दन बचाने के लिए मामले को मऊ रेफर करने की प्लानिंग कर रहे थे कि मौके पर मृतका के परिजन पहुंच गए और जमकर हंगामा किया। इस दौरान अस्पताल के सभी स्टाफ वहां से फरार हो गए। 

क्या है पूरा मामला?
जनपद गाजीपुर के अठहठा गांव की रहने वाली सिन्धु यादव जिसकी डिलवरी होनी थी। तबीयत बिगडऩे पर गांव की ही आशाबहु कार्यकत्री इसे सरकारी अस्पताल ले जाने के बजाय कमीशन के लालच में ओम सत्या अस्पताल ले आई। अस्पताल के मालिक डॉ.यू.के सिंह हैं जिनके पास कोई मेडिकल में डिग्री भी नहीं है। हैरानी की बात ये है कि बिना डिग्री के बावजूद यू.के सिंह दर्जनों अस्पताल चलाता है और खुद ही मरीजों का सर्जरी भी करता है।

केस को नार्मल बताकर 30 हजार जमा कराया 
मृतका सिन्धु जिसका डिलवरी होनी थी कल इस अस्पताल में लाई गई थी। जहां पर जच्चा बच्चा की हालत नाजुक थी। बच्चा पहले ही मर चुका था उसके बाद इसका इलाज किया जा रहा था। आज दोपहर में सिन्धु के भाई अस्पताल आए तो डॉक्टर ने केस को नार्मल बताया और इलाज के 30 हजार रूपए भी ले लिए थे। वह जैसे ही घर की तरफ जाने लगा रास्ते में ही मौत की सूचना मिली। सूचना मिलने के बाद भाई रास्ते से ही वापस अस्पताल लौट आया। तब अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ मृत हो चुकी सिन्धु को जिंदा बताकर बेहतर इलाज के लिए मऊ जिले के लिए रेफर करने लगे। इसी दौरान जब किसी परिचित ने उसका नब्ज देखा तो अवाक रह गया। क्योंकि सिन्धु की उस दौरान मौत हो चुकी थी। 

मृत महिला को ऑक्सिजन लगाकर कर रहे थे रेफर 
अपना गला फंसता देख अस्पताल के प्रबंधक समेत पूरा स्टाफ मामले को दबाने के लिए मृत महिला को ऑक्सिजन लगाकर मऊ के लिए रेफर कर रहे थे। जिसके बाद परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। बात बिगड़ते देख अस्पताल में भर्ती मरीजों को बाहर निकालकर सभी स्टाफ मौके से फरार हो गए। 

नहीं पहुंचा स्वास्थ्य महकमा का कोई जिम्मेदार अधिकारी 
घटना की जानकारी होते ही पुलिस मौके पर पहुंची परिजन अस्पताल प्रबंधक और स्वास्थ्य महकमा के जिम्मेदार अधिकारी को बुलाने की मांग को लेकर नेशनल हाईवे 29 को भी घंटों जामकर न्याय की गुहार लगाने लगे। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। सदर एसडीएम मौके पर पहुंच अस्पताल और प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिए तब जाकर नेशनल हाईवे 29 का जाम समाप्त हुआ।

क्या कहती है पुलिस? 
वहीं मौके पर पहुंचे एसडीएम विजय शंकर तिवारी ने किसी तरह से मामले को समझा बुझाकर शांत कराया और बताया कि उन्हे नहीं पता है कि इस तरह के नर्सिंग होम उनके क्षेत्र में चल रहे हैं क्योंकि उनका आना जाना इस क्षेत्र में नहीं होता है। वहीं पीड़ित की तहरीर पर मामला दर्ज कर कार्रवाई करने की बात की।

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