Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Apr, 2018 10:27 AM
इस भाग दौड़भरी जिंदगी में हर कोई संघर्ष कर रहा है बावजूद इसके मात्र कुछ लोगों को ही सफलता हासिल हो रही है। एक-दो प्रयास में ही जब लोग लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते तो निराश होकर अपना रास्ता बदल लेते हैं वो भी इस वैज्ञानिक युग में जब लोगों के पास गूगल...
यूपी डेस्क(अजय कुमार): इस भाग दौड़भरी जिंदगी में हर कोई संघर्ष कर रहा है बावजूद इसके मात्र कुछ लोगों को ही सफलता हासिल हो रही है। एक-दो प्रयास में ही जब लोग लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते तो निराश होकर अपना रास्ता बदल लेते हैं वो भी इस वैज्ञानिक युग में जब लोगों के पास गूगल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। सोचो जब अतीत में लोगों के पास इस तरह की कोई सुविधाएं भी नहीं होती थी तब भी हमारे कुछ महान व्यक्तियों ने अपने संघर्ष के बल पर वो मुकाब हासिल किया जहां हर कोई पहुंचने के ख्वाब देखता है।
कहावत भी है कि ‘विकट परिस्थिति में जो व्यक्ति महान कार्य करके दिखाए वास्तव में वही महान होता है।’ उन महान व्यक्तियों में एक नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर का है जिसने अपने अथक प्रयास से न केवल करोड़ों दबे, कुचले, शोषितों को बराबरी का हक दिलाया बल्कि देश को दुनिया का एक बेहतरीन संविधान भी दिया जिससे देश चल रहा है। इस महान व्यक्ति के जीवन संघर्ष के बारे में कुछ और बातें जानते हैं जो शायद ही लोगों को पता हो।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जब डॉ. अंबेडकर पढऩे जाते थे तो जातिवाद इतनी चरम सीमा पर था कि उन्हें क्लास की सीट पर भी बैठने नहीं दिया जाता था। यहां तक कि उनसे क्लास के बच्चे दोस्ती भी नहीं करते थे। उन्हें हमेशा यह एहसास दिलाया जाता था कि वे गंदे समाज से आते हैं, लेकिन अंबेडकर ने उस विपरीत वातावरण में भी खुद को गुलाब की तरह खिलाने का संकल्प लिया।
विदित है कि संकल्प, कार्यक्षमता और उत्साह दोनों को बढ़ा देता है। उनके साथ भी यही हुआ। वहीं छोटे कुल का लड़का बड़ा होकर इतना सफल हुआ कि आज उन्हीं के सहयोग से लिखे संविधान को पूरा देश मानता है। अंबेडकर जब उस समय दलदल में गुलाब की तरह खिल सकते हैं तो आप क्यों नहीं?