UPCL को केंद्र का दो टूक जवाब, 15 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस तो खुद भुगते राज्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Apr, 2018 04:27 PM

central government said to upcl on power theft

केंद्र सरकार की फटकार के बाद उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने बिजली चोरी रोकने के लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। अभी तक प्रदेश में लाइन लॉस 18 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 15 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस की...

देहरादून: केंद्र सरकार की फटकार के बाद उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने बिजली चोरी रोकने के लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। अभी तक प्रदेश में लाइन लॉस 18 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 15 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस की भरपाई उत्तराखंड को खुद करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार के हाथ खड़े कर लेने के बाद से ऊर्जा अफसरों की नींद उड़ी हुई है।

 

दरअसल, वर्तमान में उत्तराखंड में 1100 करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो रही है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद इसे कम करने में ऊर्जा निगम के हाथ-पांव फूले हुए हैं। बिजली चोरी रोकने को चल रही इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) के तहत बिछाई जा रही एरियर बंच कंडक्टर (एबीसी) का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। करीब 200 करोड़ की इस योजना को दिसंबर 2018 तक पूरा किया जाना है।

 

उत्तराखंड में बिजली चोरी पर यूपीसीएल पूरी तरह लगाम नहीं लगा पा रहा है। इससे यूपीसीएल को सालाना तकरीबन 1100 करोड़ रुपये का लॉस हो रहा है। अब केंद्र सरकार ने राज्य को 15 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस की भरपाई से साफ मना कर दिया है। ऐसे में प्रदेश के पास बिजली चोरी पर पूरी तरह लगाम लगाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इसके लिए संबंधित कंपनियों को भी कड़े निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल प्रदेश के 30 शहरों में एबीसी लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया गया है। इन क्षेत्रों में लाइन लॉस की सर्वाधिक शिकायतें है।

 

योजना के तहत खराब ट्रांसफार्मर और जर्जर बिजली पोलों को भी बदला जाना है। केंद्र ने लाइन लॉस में तत्काल कमी लाने के निर्देश दिए हैं। देहरादून यूपीसीएल के मुख्य अभियंता एमसी गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में विद्युत वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करके लाइन लॉस कम करने के लिए लगातार काम चल रहा है। बिजली चोरी रोकने के लिए 30 शहरों में आईडीएसपी योजना के तहत एबीसी केबल और अन्य कार्य तेज कर दिए गए हैं। दिसंबर तक हर हाल में योजना का काम पूरा किया जाएगा। 

 

यहां बिछाई जा रही एबीसी लाइन
देहरादून, डोईवाला, हर्बटपुर, ऋषिकेश, नरेंद्रनगर, विकासनगर,  हरिद्वार, झबरेड़ा, रुड़की, बागेश्वर, चकराता, चंबा, बड़ाकोट, गंगोत्री, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, लैंसडौन, दिनेशपुर, केदारनाथ, वीरभद्र आईडीपीएल, मुनिकीरेती, रुद्रप्रयाग, द्वाराहाट, कर्णप्रयाग, नंद्रप्रयाग, कालाढुंगी, धारचूला, डीडीहाट, द्वाराहाट, लोहाघाट, भीमताल और चंपावत

 

औद्योगिक क्षेत्रों में सबसे अधिक बिजली चोरी
बिजली चोरी की सबसे अधिक शिकायतें औद्योगिक क्षेत्रों में हैं। देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऊधमसिंहनगर, रुद्रपुर, काशीपुर और हल्द्वानी आदि क्षेत्रों में है। विभागीय सूत्रों की मानें, तो ऊर्जा निगम के अधिकारी औद्योगिक इकाइयों के भारी भरकम बिलों को लेकर साठगांठ कर लेते हैं। जबकि कई औद्योगिक संस्थान समय पर बिजली बिल जमा नहीं कर रहे हैं। बिल की रकम बढ़ने पर वे मीटर में खराबी बताकर मामले को गुपचुप तरीके से रफा-दफा कर लेते हैं। जब बात नहीं बनती, तो ये औद्योगिक इकाइयां कोर्ट का रास्ता अपना लेती हैं। ऐसे भी कई इकाइयां हैं, जिन पर करोड़ों रुपये का बकाया है। बिल जमा करने के बजाय वह कोर्ट की शरण में है।

 

विजिलेंस नहीं झांकती औद्योगिक इकाइयों में
उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने के लिए गठित विजिलेंस सेल भी सवालों के घेरे में है। 100-100 किलोवाट के बिजली कनेक्शन वाले औद्योगिक इकाइयों में किस तरह बिजली का खेल चल रहा है, इस पर कभी ध्यान नहीं जाता। विजिलेंस टीम एक-दो किलोवाट के बिजली उभोक्ताओं पर छापेमारी करके बिजली चोरी रोकने तक सीमित है। बड़े बिजली उपभोक्ताओं के खिलाफ कभी कोई छोपमारी नहीं की गई। इससे विजिलेंस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इस दिशा में यूपीसीएल को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

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