Edited By ,Updated: 08 Nov, 2016 08:17 PM
उत्तर प्रदेश में आगामी तीन माह बाद होने वाले चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ बिहार की तर्ज पर सेकुलर दलों का गठबंधन बनने की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी तीन माह बाद होने वाले चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ बिहार की तर्ज पर सेकुलर दलों का गठबंधन बनने की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मुलायम सिंह यादव से एक सप्ताह में दूसरी बार मुलाकात के बाद भी इस तरह का गठजोड़ बनाने को लेकर कांग्रेस में कहीं कोई हलचल नहीं है। प्रदेश कांग्रेस व रालोद अध्यक्ष अजित सिंह की तटस्थता व सपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
कांग्रेस का एक वर्ग प्रशांत किशोर की मुलायम से लगातार हो रही मुलाकातों को लेकर सवाल उठा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर जिनके की सपा नेताओं से संबंध काफी बिगड़े हुए हैं, सपा से तालमेल के एकदम खिलाफ हैं।
कांग्रेस के एक उच्च सूत्र ने स्वीकार किया है कि कांग्रेस पिछले चार माह से राज्य में ‘27 साल यूपी बेहाल’ का नारा लगा रही है, ऐसी दशा में अब चुनाव के ऐन वक्त पर उसी पार्टी जिसे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार व अपराध के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, हाथ मिलाया गया तो कांग्रेस के उच्च जातियों व ब्राह्मण वोट बैंक बुरी तरह बिदक सकता है। दूसरा अहम कारण बूथ स्तर पर सपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आपसी कड़वाहट व दूरियां होना है। सपा में तालमेल व महागठबंधन को लेकर चौधरी अजित सिंह पहले ही सवाल उठा चुके हैं।
UP Political News की अन्य खबरें पढ़ने के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें