Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 04:18 PM
यूपी की सत्ता पर बीजेपी के 6 महीने पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस कर ‘श्वेत पत्र 2017’ जारी किया।
लखनऊ: यूपी की सत्ता पर बीजेपी के 6 महीने पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस कर ‘श्वेत पत्र 2017’ जारी किया। योगी ने कहा कि ‘श्वेत पत्र’ में हमारी सरकार के कामकाज का संक्षिप्त ब्यौरा दिया गया है। इस दौरान योगी ने कहा कि पिछली सरकारों के कारनामों की लंबी श्रंखला है। जिसे पत्रिका के माध्यम से हमने जनता के सामने रखा है। बता दें कि प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश के सभी मंत्री मौजूद रहे।
निशाना साधते हुए योगी ने कहा कि पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकारों ने राज्य को भ्रष्टाचार के जाल में फंसा कर उसे कंगाली की राह पर धकेल दिया। अपनी सरकार के छह महीने पूरा होने की पूर्व संध्या पर योगी ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘हमारी सरकार को राज्य किस हालत में मिला था, जनता को यह बताना जरुरी था, इसीलिए हमने श्वेतपत्र लाना जरुरी समझा।’
उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं के लूटपाट का आलम यह था कि दस वर्षों में प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़कर ढाई गुना हो गया। 31 मार्च 2007 को राज्य सरकार एक लाख 34 हजार 915 करोड़ रुपये का कर्जदार था जो 31 मार्च 2017 तक तीन लाख 74 हजार 775 करोड़ रुपये पहुंच गया।
योगी ने कहा कि वर्ष 2007 में प्रति व्यक्ति ऋण सात हजार 795 रुपये था, जो 2017 में दो गुना से भी ज्यादा बढ़कर 17 हजार 97 रुपये हो गया। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2009-10 के दौरान पिछली सरकारों ने प्रत्येक वर्ष राज्य की सकल आय के चार प्रतिशत से अधिक कर्ज लिया, जबकि कर्ज की वार्षिक सीमा तीन फीसदी निर्धारित है।
उन्होंने कहा कि 2010-11 से तीन प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष कर्ज लिया गया, लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण पूंजीगत व्यय में भारी कटौती की गयी। वित्तीय वर्ष 2009-10 में पूंजीगत व्यय 25091 करोड रुपये था जो वर्ष 2010-11, 2011-12 और 2012-13 में घटकर क्रमश: 20272 करोड़, 21574 करोड और 23834 करोड़ रुपया हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा या तो तीन प्रतिशत से अधिक रहा या विकासात्मक व्यय मेें कमी कर इसे तीन प्रतिशत तक रखा गया। उनका कहना था कि राजकोषीय घाटे में संतुलन बनाने के लिये शरारतपूर्ण प्रयास किये गये। असामाजिक तत्वों और भ्रष्टाचारियों को प्रश्रय देकर वित्तीय अराजकता का माहौल बनाया गया।