कैराना उपचुनाव: गन्ना किसानों का सबसे कम बकाया होने के बावजूद भाजपा ने गंवायी सीट

Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Jun, 2018 03:13 PM

bjp defeats karaana bypoll

भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा के उपचुनाव में ‘गन्ना’ का मुद्दा जिन्ना और दंगा (मुजफ्फरनगर दंगा) पर भारी पड़ा, आश्चर्य की बात है कि गन्ना की सबसे कम देनदारी के बावजूद सीट गवानी पड़ी।

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा के उपचुनाव में ‘गन्ना’ का मुद्दा जिन्ना और दंगा (मुजफ्फरनगर दंगा) पर भारी पड़ा, आश्चर्य की बात है कि गन्ना की सबसे कम देनदारी के बावजूद सीट गवानी पड़ी। 

भाजपा को कैराना उपचुनाव में शामली जिले के शामली और कैराना विधानसभा क्षेत्रों बढ़त मिली थी लेकिन थाना भवन तथा सहारनपुर जिले की नकुड और गंगोह विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गयी थी। शामली में तीन चीनी मिलें है। इस मिलों पर किसानों का 512.71 करोड़ रूपया बकाया है। सहारनपुर की जिन विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा पिछड़ गयी थी वहां की चीनी मिलों पर किसानों का केवल 261.74 करोड़ रूपया बकाया है। उपचुनाव में विपक्ष ने हार का कारण गन्ना बताया है। विपक्ष का कहना है कि गन्ना के आगे जिन्ना और दंगा का मुद्दा नही चला। 

लोकसभा के आम चुनाव की अपेक्षा इस उपचुनाव में भाजपा को कैराना में 24000 वोटों को नुकसान हुआ। उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन ने यह सीट 44 हजार से अधिक मतों से जीती।  चुनाव प्रचार के दौरान गन्ना और जिन्ना का मुद्दा खूब उछला था। प्रचार के दौरान मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि देश में जिन्ना जैसे लोगों का बढ़ावा नही दिया जायेगा। उन्होने गन्ना किसानों बकाया के बारे में कहा था कि सरकार ने एक साल के भीतर इसे काफी कम कर दिया है। उन्होने मुजफ्फरनगर दंगों का दोष समाजवादी पार्टी(सपा) के ऊपर मढ़ दिया था।  विपक्षी दल, विशेष रूप से राष्ट्रीय लोक दल के महासचिव जयंत सिंह ने प्रचार के दौरान भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों के गन्ना बकाया का मुद्दा उठाया था। उन्होने जिन्ना और मुजफरनगर दंगा जैसे मुद्दे को उठाने के लिए योगी पर तंज कसा था। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ ने आज यहां स्वीकार किया कि पार्टी कैराना में लोगों की मनोदशा समझ नही पायी। पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि जैसे कई मुद्दे हमारे खिलाफ चले गए। सरकार गन्ना के भुगतान के मामले को भुना नही पायी। विपक्षी दलों ने गन्ना भुगतान जैसे मामलों को मुद्दा बना लिया। विपक्षी दलों ने गन्ना भुगतान के बारे में शब्दों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया।  चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो गया कि जाट वोट भाजपा से खिसककर रालोद की ओर चले गये थे। जिन मतदाताओं ने नगर निगम और विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था उन्होने रालोद के पक्ष में मतदान किया था। वही मुस्लिम मतदाताओं ने खुलकर सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ मतदान किया। इस चुनाव में मुस्लिस-जाट-गुज्जर और दलित जाटव फार्मुला कामयाब रहा।  

वर्ष 2014 में हुये आमचुनाव के बाद प्रदेश में हुये उपचुनावों में चार लोकसभा की सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इससे पहले उपचुनाव में भाजपा को गोरखपुर और फूलपुर में हार का सामना करना पड़ा था। आम चुनाव में मैनपुरी सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी । दो सीटों पर जीत दर्ज करने के कारण उन्होने मैनपुरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में उनके भतीजे तेज प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में भाजपा को केवल सिकंदरा सीट पर जीत मिली थी। 

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