मंदिर मुद्दे को भुनाने के लिये भाजपा और शिवसेना आमने-सामने

Edited By Ajay kumar,Updated: 24 Nov, 2018 03:30 PM

bjp and shiv sena face to face to redeem temple issue

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के ठीक पहले दोनों हिन्दुत्ववादी दल भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और शिवसेना मंदिर मुद्दे को भुनाने के लिये आमने सामने खड़ी हो गयी है।

लखनऊ: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के ठीक पहले दोनों हिन्दुत्ववादी दल भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और शिवसेना मंदिर मुद्दे को भुनाने के लिये आमने सामने खड़ी हो गयी है। अयोध्या में पहली बार शिवसेना प्रमुख की यात्रा ने भगवा ब्रिगेड के बीच कुछ दहशत पैदा की है, जिसने उन्हें रविवार को विश्व हिन्दु परिषद (विहिप)द्वारा आयोजित धर्मसभा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोकने पर मजबूर कर दिया है।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, अपने बेटे आदित्य तथा अन्य परिवार के सदस्यों के साथ शनिवार दोपहर में अयोध्या पहुच गये है। उद्धव दोपहर में संतों और साधुओं का सम्मान करेगे और बाद में सरयू आरती में भाग लेंगे। मुंबई जाने से पहले शिवसेना प्रमुख अपने परिवार के साथ रामलला के अस्थायी मंदिर में पूजा करेगे। महाराष्ट्र तथा अन्य क्षेत्रों से आये सांसदों और विधायको के साथ लगभग 8000 शिव सैनिक यहां पहुचे है। शनिवार सुबह शिवसैनिकों को लेकर दो विशेष ट्रेन अयोध्या पहुंची हैं। 

शिवसेना प्रमुख उद्धव की अयोध्या की यह एक ऐतिहासिक यात्रा है। वह विवादित परिसर पर जाने वाले पहले पार्टी अध्यक्ष होंगे। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने दावा किया था कि छह दिसंबर 1992 को बाबरी ढ़ाचा गिराने के लिये उसके समर्थक जिम्मेदार थे। कई लोगों के लिए, यह आश्चर्य की बात हो सकती है कि उद्धव के पिता बाला साहेब ठाकरे राम मंदिर और हिंदुत्व के प्रबल समर्थक थे, लेकिन वह कभी अयोध्या नही गये। भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी भी अयोध्या गये थे।  

अयोध्या का दौरा न करने के बावजूद, बाल ठाकरे ने ‘हिंदुत्व’ एजेंडा को आगे बढ़ाया और इस मामले में भाजपा को हमेशा चुनौती दी। अयोध्या में न जाने के बावजूद बाबा साहेब ठाकरे ऐसे पहले नेता थे जिन्होनेे बाबरी मस्जिद ढ़हाने की खुलआम जिम्मेदारी ली थी। बाबरी विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालील मुख्यमंत्री  कल्याण सिंह समेत भाजपा के कई नेता इस बारे में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से बचते रहते थे। बाला साहेब ने उस समय कहा था ‘‘बाबरी मस्जिद की दीवार पर सबसे पहले शिवसैनिकों ने की चढ़़ायी की थी। इस बयान से बाल ठाकरे की पहचान एक कट्टर ङ्क्षहदुत्व नेता के रूप में होने लगी थी और इस मामले में उन्होने भाजपा को पीछे छोड़ दिया था।

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