Edited By Ajay kumar,Updated: 07 Aug, 2018 06:05 PM
अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण कानून की बहाली का श्रेय जन आंदोलन और भारत बंद को देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को इस कानून की मूल रूप में बहाली के लिये मजबूर करना एक बड़ी...
लखनऊ: अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण कानून की बहाली का श्रेय जन आंदोलन और भारत बंद को देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को इस कानून की मूल रूप में बहाली के लिये मजबूर करना एक बड़ी उपलब्धि है।
मायावती ने जारी एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विद्वेष, निरंकुश और अहंकारी सरकार को एस.सी./एस.टी. अत्याचार निवारण कानून को, इसके मूल रूप में बहाल कराने के लिये झुकाना कोई मामूली घटनाक्रम नहीं है, बल्कि वर्तमान समय में यह एक $खास उपलिध मानी जायेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक स्वार्थ की खातिर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने मजबूरी में इस विधेयक को लोकसभा में पारित कराया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस कानून का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है जबकि केन्द्र की निरंकुश सरकार को यह फैसला लेने के लिये दो अप्रैल को आयोजित भारत बंद ने मजबूर किया। वास्तव में तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा सरकार ने दलितो और आदिवासियो के आत्म-सम्मान से जुड़े इस कानून को बहाल किया।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि इस विधेयक को बहाल करने में हुयी देरी से इन वर्गों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इस मामले में केन्द्र में बैठे दलित और आदिवासी सांसद एवं मंत्री, उस समय पूरे तौर से अपनी चुप्पी साधे हुये थे जो अब आम चुनाव के नजदीक आते ही, इस प्रकरण को लेकर घडिय़ाली आँसू बहा रहे हैं। इनमें से एक मंत्री को तो इसी महीने नौ अगस्त को इस मामले को लेकर अपनी पार्टी का धरना-प्रदर्शन व बन्द आदि करने तक का भी ऐलान करना पड़ गया था।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी का, केन्द्र सरकार से यह भी कहना है कि इन वर्गो की सरकारी नौकरियों में पदोन्नति को पूरे तौर से प्रभावी बनाने के लिए पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने की जरुरत है क्योंकि इस मामले में इन वर्गों के कर्मचारी केन्द्र की सरकार के रवैये से अभी भी पूरी तरह सन्तुष्ट नहीं हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिये जाने का स्वागत करते हुये बसपा अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल कोरा कागजी, दिखावटी और चुनावी स्वार्थ भरा नहीं होना चाहिये बल्कि पिछड़े वर्गों को संवैधानिक और कानूनी हक भी पूरी ईमानदारी से मिलना चाहिये और खासकर शिक्षा व सरकारी नौकरी के क्षेत्र में इनको इनके आरक्षण का भी सही लाभ समय से और पूरा मिलना चाहिये।
मायावती ने कहा कि भाजपा और आर.एस.एस. एण्ड कंपनी के लोगों के चाल,चरित्र और चेहरे को देखकर ऐसा कतई नहीं लगता कि देश में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के शिक्षा एवं नौकरी में मिलने वाले आरक्षण संबंधी संवैधानिक अधिकारों के मामले में यह सरकार ईमानदारी बरतेगी और इनके पूरे देश भर में आरक्षण के खाली पड़े लाखों पदों को भरकर इन्हें थोड़ा आगे बढऩे का मौका देगी।