बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस, जानिए क्यों?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Nov, 2017 07:27 PM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा नोएडा में बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को कथित तौर पर 400 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने के मामले में आज पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया।

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा नोएडा में बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को कथित तौर पर 400 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने के मामले में आज पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया।  

न्यायमूॢत तरुण अग्रवाल एवं न्यायमूॢत अजय भनोट की पीठ ने गौतम बुद्ध नगर निवासी औसफ एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। इन याचिकाकर्ताओं ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के पक्ष में 400 एकड़ भूमि आवंटन को चुनौती दी है।   अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और इससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी फर्म या उद्योग के पक्ष में भूमि आवंटन के ब्यौरे वाले सभी दस्तावेज एवं नक्शे मंगाए हैं। अदालत ने इस मामले में अब 14 नवंबर को आगे सुनवाई करेगा। 

इन याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें वनीकरण के लिए यह जमीन 1994 में 30 वर्ष के पट्टे पर आवंटित की गई थी। लेकिन अब यमुना एक्सप्रेसवे ने इसे अवैध रूप से पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को आवंटित कर दिया है। सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने विरोधाभासी रुख अपनाए। जहां यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने अपने हलफनामे में कहा कि न तो उसके अधिकारी पेड़ काटने गए और न ही उस जगह पर कोई पेड़ मौजूद था। 

वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि प्राधिकरण के अधिकारी उस विवादित भूमि पर पेड़ काटने के लिए गए और कम से कम 300 पेड़ गिरा दिए गए। अदालत ने इससे पूर्व सुनवाई की तिथि पर कहा था, ‘ऐसा लगता है कि मामले में लीपापोती की जा रही है। न तो राज्य सरकार और न ही प्राधिकरण यह जवाब देने को तैयार है कि पेड़ों को गिराने के लिए किसकी जेसीबी मशीनों का उपयोग किया गया।’  

इससे पूर्व अदालत ने संबद्ध पक्षों को अगले आदेश तक इस विवादित जमीन पर किसी तरह का विकास या बदलाव नहीं करने का निर्देश दिया था। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पतंजलि संस्थान द्वारा उद्योग या फूड प्लाजा स्थापित करने के लिए 6000 से अधिक पेड़ काट दिए जाएंगे जिससे पर्यावरण को भारी क्षति होगी। 

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