Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Jul, 2020 02:53 PM
अयोध्या विवाद मामले में अब नया मोड़ आ गया है। विवादित परिसर पर बौद्धों ने भी अपना दावा किया है। इसी मुद्दे को लेकर दो बौद्ध भिक्षु कलेक्ट्रेट के सामने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है।
अयोध्या: अयोध्या विवाद मामले में अब नया मोड़ आ गया है। विवादित परिसर पर बौद्धों ने भी अपना दावा किया है। इसी मुद्दे को लेकर दो बौद्ध भिक्षु कलेक्ट्रेट के सामने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। आमरण अनशन पर बैठे बौद्धों की मांग है कि राम जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण को लेकर मिले प्राचीन मूर्तियों और प्रतीक चिन्हों को सार्वजनिक किया जाए। साथ ही उनके प्रतीक चिन्हों को बौद्घों को सौंपा जाए। रामजन्मभूमि परिसर में जमीन की भी मांग की है।
बताते चलें कि बिहार से अयोध्या पहुंचे अखिल भारतीय आजाद बौद्घ धम्म सेना संगठन के भंते बुद्घ शरण केसरिया ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में आमरण अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने प्राचीन बुद्घ नगरी साकेत को वर्तमान अयोध्या में अति विवादित स्थल पर बन रहे राम मंदिर के निर्माण कार्य को रोककर उक्त मुद्दे को सुलझाने हेतु यूनेस्को को सौंपकर उसके संरक्षण में खुदाई कराने एवं बुद्घ अवशेषों को संरक्षित करने की मांग की है।
बुद्घशरण केसरिया का कहना है कि अयोध्या में बन रहे राममंदिर निर्माण हेतु चल रहे समतलीकरण के दौरान बुद्घ संस्कृति से जुड़ी बहुत सारी बुद्घ मूर्तियां, अशोक धम्म चक्र, कमल का फूल एवं अन्य अवशेष मिलने से यह स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान अयोध्या बोधिसत्व लोमश ऋषि की बुद्घ नगरी साकेत है। उन्होंने कहा कि अयोध्या मुद्दे पर हिंदू-मुस्लिम एवं बौद्घ तीनों पक्षों ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन सारे सबूतों को दरकिनार कर एक तरफा फैसला हिंदुओं के पक्ष में राममंदिर के लिए दे दिया गया। इसके लिए उनके द्वारा राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट, अध्यक्ष राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सहित जिले के डीएम सहित अन्य अधिकारियों को पत्र भेजकर अपनी मांग मुखर की है।