अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्षकार बोले- 1949 से पहले गर्भगृह में नहीं थी राम की मूर्ति

Edited By Deepika Rajput,Updated: 24 Sep, 2019 03:46 PM

ayodhya case

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अयोध्या विवाद की 30वें दिन की सुनवाई शुरु हुई। इस दौरान मंगलवार को मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि 1949 में पता चला कि गर्भगृह में भगवान का अवतरण हुआ है, लेकिन उससे पहले वहां मूर्ति नहीं थी।

नई दिल्ली/अयोध्याः सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अयोध्या विवाद की 30वें दिन की सुनवाई शुरु हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि 1949 में पता चला कि गर्भगृह में भगवान का अवतरण हुआ है, लेकिन उससे पहले वहां मूर्ति नहीं थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि पौराणिक विश्वास के अनुसार पूरे अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है, लेकिन इसके बारे में कोई एक खास जगह नहीं बताई गई।

उन्होंने हिंदू पक्ष के गवाह की गवाही पढ़ते हुए कहा कि लोग राम चबूतरे के पास लगी रेलिंग की तरफ जाते थे। मूर्ति गर्भ गृह में कैसे गई इस बारे में उसको जानकारी नहीं है। धवन ने कहा कि इलाहाबाद हाइकोर्ट के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल ने माना था कि राम चबूतरे पर पूजा की जाती थी। उन्होंने हाइकोर्ट के एक जज की टिप्पणी का विरोध किया, जिन्होंने कहा था कि मुस्लिम वहां पर अपना कब्जा साबित नहीं कर पाए थे। धवन ने कहा कि मुस्लिम वहां पर नमाज पढ़ते थे, इस पर सवाल उठाया जा रहा है।

वर्ष 1949 में 22-23 दिसंबर की रात को जिस तरह से मूर्ति को रखा गया, वह हिंदू नियम के अनुसार सही नहीं है। आज उन्होंने अपनी दलील पूरी कर ली। उन्होंने कुल 14 दिन अपनी दलीलें पेश की। अब मुस्लिम पक्षकार की ओर से जफरयाब जिलानी दलील दे रहे हैं।

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