Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 08:59 PM
बाबरी मस्जिद विध्वंस के ठीक 24 घंटे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण जिस बात का जिक्र किया था। उसे ही विध्वंस का इशारा भी माना जाता है। अटल बिहारी के अलावा उस उस मंच पर लाल कृष्ण आडवानी भी थे। दोनों ने अपने भाषणों से कारसेवकों को उन्मादी बनाने...
लखनऊ, आशीष पाण्डेय: बाबरी मस्जिद विध्वंस के ठीक 24 घंटे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण में जिस बात का जिक्र किया था। उसे ही विध्वंस का इशारा भी माना जाता है। अटल बिहारी के अलावा उस मंच पर लाल कृष्ण आडवानी भी थे। दोनों ने अपने भाषणों से कारसेवकों को उन्मादी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। रात को हुई इस रैली के बाद अगली सुबह कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया। इतना ही नहीं बाबरी विध्वंस के बाद बीजेपी के एक और नेता तो यहां तक कह दिया था कि इस पूरे मामले में किसी भी सरकारी, गैर सरकारी व्यक्ति को कुछ नहीं होगा जो कुछ हुआ उसकी जिम्मेदारी मैं खुद लेता हूं। ये बात कहने वाला कोई और नहीं बल्कि तात्कालिक मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ही थे।
अटल बिहारी वापजेयी के भाषण का मुख्य अंश
पांच दिसंबर 1992 को लखनऊ में लाखों कारसेवकों को संबोधित करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि "ये ठीक है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक लखनऊ बेंच फैसला नहीं करती है तब तक निर्माण का
कोई कार्य नहीं होगा। मगर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आप भजन कर सकते हैं, कीर्तन कर सकते हैं, अब भजन एक व्यक्ति नहीं करता, भजन होता है तो सामूहिक होता है। और कीर्तन के लिए तो और भी लोगों की आवश्यकता होती है। और भजन कीर्तन खड़े-खड़े तो हो नहीं सकता है कब तक खड़े रहेंगे? वहां नुकीलें पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई बैठ नहीं सकता। ऐसे में जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक तो करना पड़ेगा। यज्ञ का आयोजन होगा तो कुछ निर्माण भी होगा। कम से कम बेदी तो बनेगी।"
लाल कृष्ण आडवानी के भाषण का मुख्य अंश
अटल बिहारी के बाद आडवानी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि "हम उत्तर प्रदेश में शासन कर रहे हैं और कल्पना है कि कल देश पर भी शासन हो। इसीलिए यह संकल्प कमजोर होने नहीं देंगे। हमारा संकल्प है, उसकी पूर्ति के लिए अगर बलिदान भी करना होगा तो बलिदान करेंगे और अगर त्याग करना होगा तो त्याग भी करेंगे। सरकार की कुर्बानी देनी होगी तो सरकार की कुर्बानी भी देंगे। लेकिन उत्तरदायित्व की भाषा नहीं छोड़ेंगे। उत्तरदायित्व का आचरण नहीं छोड़ेंगे। ये चीज है दोनों का समिश्रण। एक तरफ कोर्ट का आदर दूसरी तरफ जनादेश का आदर। जनादेश है कि मंदिर बनना चाहिए। और नई दिल्ली में बैठे हुए शासन इस बात को समझ लें।"
बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह का जोशीला भाषण
वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल व यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिस तरह का भाषण दिया था शायद ही कोई मुख्यमंत्री ऐसी बात बोलने की हिम्मत करता। अपने भाषण में कल्याण सिंह ने कहा कि "सारी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूं। कोर्ट में केस चलाना है तो मेरे खिलाफ चलाओ। किसी कमीशन की इंक्वायरी करानी है तो मेरे पास आओ। इसके लिए कोई दंड भी देना हो तो किसी को ना देकर मुझे दो। अधिकारियों ने तो केवल आदेशों का पालन किया है। मैं एक एक बिंदू पर स्पष्टीकरण देने को तैयार हूं। मैंने, मेरी सरकार ने, मेरे अधिकारियों ने, मेरे सहयोगियों ने किसी भी प्रकार का कंटेप्ट ऑफ कोर्ट नहीं किया है। क्या मैं गोली चला देता। एनआईसी की मीटिंग में मैंने स्पष्ट कहा था कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा, गोली नहीं चलाऊंगा, गोली नहीं चलाऊंगा। 6 दिसंबर को लगभग एक बजे केंद्र सरकार के गृह सचिव शंकरराव चवन का मुझे फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि हमारे पास यह सूचना है कि कारसेवक गुंबद पर चढ़ गए। आप के पास क्या सूचना है? तब मैंने कहा मेरे पास एक कदम आगे की है कार सेवक गुंबद पर चढ़ गए और उसे तोडऩा भी शुरू कर दिया। लेकिन चौहान साहब इस बात को रिकार्ड कर लेना मैं गोली नहीं चलाऊंगा, गोली नहीं चलाऊंगा, गोली नहीं चलाऊंगा।"