Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Apr, 2018 07:15 PM
इतिहास के पन्नों पर इलाहाबाद शहर ने अपनी अलग पहचान बना रखी है। चाहे गंगा-जमुना-सरस्वती का संगम हाे या फिर यहां के किले सभी यादगार हैं।
इलाहाबाद(सैयद आकिब रजा)-इतिहास के पन्नों पर इलाहाबाद शहर ने अपनी अलग पहचान बना रखी है। चाहे गंगा-जमुना-सरस्वती का संगम हाे या फिर यहां के किले सभी यादगार हैं। इन सबके बावजूद हम आपकाे एक एेसे पुल के बारे में बता रहे हैं जाे इलाहाबाद वासियों के लिए गर्व की बात है।
दरअसल ये पुल इलाहाबाद का सबसे पुराना यमुना पुल है जिसकी उम्र 150 साल से ऊपर हो चुकी है। इसके बावजूद भी आज ये पुल फिटनेस में किसी से कम नहीं है। 15 अगस्त 1865 काे तैयार हुआ यह यमुना पुल आज भी मजबूती से लोगों की मुश्किलें कम कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस पुल से रोजाना करीब 200 ट्रेन तकरीबन 3 से 4 लाख पैसेंजर लेकर सफर करती है।
ब्रिटिश शासन काल का बना है ये पुलिस
ब्रिटिश शासन काल के सबसे पुराने पुलों में से एक गऊघाट यमुना पुल नायाब इंजीनियरिंग का नमूना है। यह हावड़ा- दिल्ली रेल मार्ग के प्रमुख प्रमुख पुलों में शामिल है।
15 अगस्त 1865 में हुआ निर्माण
वैसे ताे इस पुल काे बनाने की काेशिश 1855 में ही हाे गई थी लेकिन निर्माण कार्य 1859 में शुरू हुआ। जाे 15 अगस्त 1865 में बनकर पूरी तरह से तैयार हाे गया। बता दें कि उस समय 44 लाख 46 हज़ार 300 रुपए की लागत पुल को बनाने में आई थी। यह पुल 3150 फीट लंबा है । पुल की मजबूती के लिए मजबूत गार्डर लगे हुए हैं।
14 पिलर पर खड़ा है पुल
यमुना पुल वैसे तो 14 पिलर पर खड़ा है लेकिन 13 पिलर से अलग 14वां पिलर हाथीपांव की तरह पैर जमाए हुए है। स्थानीय लाेग भी इस पुल को धरोहर से कम नहीं मानते हैं।
कई सालों तक सलामत रहेगा पुल- रेलवे अधिकारी
इसके मेंटेनेंस का भार उठाने वाले रेलवे अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कई सालों तक यह पुल यूं ही सलामत रहेगा। रेलवे अधिकारी का कहना है कि पुल को अभी भी कोई खतरा नहीं है क्योंकि पुल की नींव की गहराई 40 फीट से ज्यादा है इसके पिलर आज भी बहुत मजबूत है।