अखिलेश को बहुत महंगा पड़ा ‘बापू’ को हानिकारक समझना!

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2017 02:34 PM

akhilesh was very expensive to consider bapu as harmful

यूपी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली है। इस हार पर जहां चाचा शिवपाल यादव ने अखिलेश पर निशाना साधा है वहीं बीजेपी नेताओं ने भी जोरदार हमला बोला है...

उत्तर प्रदेश: यूपी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली है। इस हार पर जहां चाचा शिवपाल यादव ने अखिलेश पर निशाना साधा है वहीं बीजेपी नेताओं ने भी जोरदार हमला बोला है। वहीं अब यह भी चर्चा होने लगी है कि अखिलेश यादव को मुलायम सिंह को हानिकारक समझना काफी महंगा पड़ा है। चर्चा यह हो रही है कि अगर अखिलेश यादव मुलायम सिंह को चुनाव प्रचार में उतारते तो स्थिति कुछ और ही होती। यूपी में समाजवादी पार्टी की हार या फिर अखिलेश यादव का अति आत्मविश्वास उनकी हार का सबब बना है।

मुलायम-शिवपाल को किनारे किया
कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है। 2014 में भी बीजेपी ने जब पूर्ण बहुमत की सरकार केंद्र में बनाई तो यूपी ने 71 सांसद पार्टी को दिए थे। ऐसे में मोदी और अमित शाह ब्रिगेड को चुनौती देना उतना आसान नहीं था। बावजूद इसके अखिलेश यादव अपने दम पर यूपी के रणक्षेत्र में कूद गए। अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव को किनारे कर दिया। पार्टी पर खुद कब्जा कर लिया। मुलायम सिंह ने अपनी छोटी बहु अपर्णा यादव के अलावा किसी उम्मीदवार के लिए रैली नहीं की। शिवपाल यादव भी बस जसवंतनगर की अपनी सीट तक ही सीमित रहे। कहा जाता है कि मुलायम-शिवपाल की जोड़ी वह जोड़ी है जिसने यूपी की सत्ता से कांग्रेस और बीजेपी को बाहर कर समाजवादी का परचम लहराया था, लेकिन पूरे चुनाव में मुलायम-शिवपाल घर में बैठे रहे। इसी वजह से कहा जा सकता है कि अखिलेश की हार पिता से किनारा कर लेना है।

कांग्रेस गठबंधन बना मुसीबत
अखिलेश यादव ने परिवार की लड़ाई के बाद समाजवादी पार्टी पर अपना कब्जा कर लिया। अखिलेश ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के इरादे से राहुल गांधी के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन के तहत कांग्रेस को 105 सीटें दी गईं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं में इस फैसले से गुस्सा पनपा और नतीजा यह रहा कि समाजवादी पार्टी में भितरघात की खबरें आईं। इतना ही नहीं जब कांग्रेस को देश की राजनीति का डूबता जहाज माना जा रहा है। ऐसे में सपा का उसके साथ गठबंधन बड़ा हैरान करने वाला था। 27 सालों से यूपी में कांग्रेस की अपनी कोई जमीन नहीं बची। शिवपाल यादव ने सरेआम कांग्रेस के साथ गठबंधन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जिस पार्टी की 4 सीटें जीतने की हैसियत नहीं, उसे 105 सीटें देना नुकसानदायक होगा।

पीएम का वार पड़ा महंगा
अखिलेश यादव ने अपनी चुनावी रैलियों में पीएम मोदी को नोटबंदी, कालाधन वापस लाने जैसे मुद्दों पर घेरा। साथ ही गुजरात के गधों के प्रचार पर भी अखिलेश ने मोदी को घेरा। हालांकि मोदी ने गधे वाले बयान को अपने पाले में ले लिया और कहा कि वह देश सेवा में गधे की तरह लगे हुए हैं।

विकास के नाम पर था केवल हाईवे का मुद्दा
यूपी में सात चरणों में चुनाव पूरे हुए। करीब एक महीने तक चले चुनाव में अखिलेश ने 250 के आसपास रैलियां कीं। अखिलेश ने अपनी हर रैली में विकास के नाम पर वोट मांगा। लेकिन विकास के नाम पर अखिलेश के पास एक्सप्रेस वे के अलावा कोई खास मुद्दा नहीं रहा। जबकि बिजली और बिगड़ी कानून व्यवस्था सीधे तौर पर अखिलेश के खिलाफ बड़ा मुद्दा बना।

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